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UPSC में 5 असफलताओं के बाद भी हार नही मानी, छठे प्रयास में प्राप्त की सफलता; पढ़े पूरी कहानी

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यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में कुछ गिने चुने ही सफल हो पाते हैं। वैसे इस बार के यूपीएससी एग्जाम में टॉप–4 में लड़कियों में अपनी जगह बनाकर इसे खास बनाया है। उन सब ने इस सफलता की प्राप्ति कर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण दिया। ऐसी ही कहानी कर्नाटक की रहने वाली अरुणा की है जिनके पिता ने कर्ज की वजह से अपनी जान दे दी। यूपीएससी एग्जाम में पांच प्रयास में असफल होने के बावजूद अरुणा ने छठी प्रयास में सफलता हासिल की। उन्होंने ऑल इंडिया 308वीं रैंक हासिल की।

दरअसल अरुणा कर्नाटक में रहने वाली हैं। उनके कुल पांच भाई–बहन हैं। उनके पिता एक किसान थे जो अपने बच्चों को पढ़ा कर सफल बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने बैंक से कर्ज लेकर अपने बच्चों को प्रशिक्षित किया। कुछ वक्त बाद वह कर्ज अधिक हो गया और वह उसे चुका नहीं पाए। बैंक द्वारा दिए गए चेतावनी से परेशान होकर उन्होंने वर्ष 2009 में अपनी जान दे दी। इस दौरान अरुणा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थीं।

पिता की मृत्यु ने अरुणा पर मानसिक दवाब बनाया और उन्होंने पिता के सपनों को पूरा करने का फैसला किया। उन्होंने वर्ष 2014 में यूपीएससी एग्जाम की जर्नी शुरू की ओर अपने शुरुआती पांच प्रयासों में असफल हुई। पूरे देश में पिछड़े वर्ग के लिए ओबीसी कोटा लागू है। इसके बावजूद उन्होंने पढ़ाई के साथ यूपीएससी परीक्षा में आरक्षण का इस्तेमाल नहीं किया और प्रत्येक बार अनारक्षित वर्ग के रूप में एग्जाम दिया।

अपने पांच प्रयास में सफल होने के बाद उन्होंने और अधिक मेहनत किया और छठे प्रयास में सफलता हासिल की। अपने छठे प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया 308वीं रैंक हासिल की। उन्होंने अपनी इस बड़ी सफलता का श्रेय अपने पिता द्वारा किए गए प्रयास को दिया है।

बातचीत में अरुणा ने बताया कि वह नहीं चाहती कि कर्ज की वजह से उनके पिता की तरह कोई और व्यक्ति आत्महत्या करे। इस पर उन्होंने कहा कि वह नौकरी में आने के पश्चात किसानों को उनके आर्थिक स्थिति मजबूत करने की दिशा में उनका मार्गदर्शन करूंगी। उन्होंने बेंगलुरु में प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत की जिसका नाम अरुणा एकेडमी रखा। इसकी मदद से वे ग्रामीण युवाओं को यूपीएससी परीक्षा में बैठने के लिए प्रेरित करती हैं। अरुणा कहती है कि इस एकेडमी को शुरू करने का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं की मदद करना है।