MOTIVATIONAL
UPSC एग्जाम से 5 दिन पहले हुई थी मां की मौत, जिद से बनी IPS ऑफिसर
यहां मंगलवार देर रात IPS अपर्णा गुप्ता द्वारा 150 पुलिस वालों की टीम के सहित रेड लाइट जगह में छापा मारा था। दो दिन तक चलाई गई इस कार्यविवरण में 26 महिलाएं छज्जा की गईं थीं। उतना ही नहीं इस IPS ने कुछ ऐसी लड़कियों उस स्थान से मुक्त करवाया उन्होंने तस्करी कर वहा लाया गया था एवं तलगृह में रखा था। इस कामयाबी के हेतु एसपीसिटी अनुपम सिंह द्वारा अपर्णा एवं उनकी टीम को नगद ईनाम-प्रशस्ति पत्र देने का ऐलान किया है। माहौल देख तमतमा गई थी IPS IPS अपर्णा गुप्ता बताती हैं, जब तलगृह में उन्हें जानवरों की तरीके से कैद लड़कियां दिखाई दीं, तो वो उन्हें बहुत गुस्सा आया। उस क्षेत्र का माहौल देखकर वो बेहद ही गुस्सा गईं। उन्हें उन लड़कियों की परिस्थिति पर बहुत तरस आया।
यूपी के मेरठ में किला परीक्षितगढ़ रोड स्थित कोरल स्प्रिंग्स कॉलोनी में अपर्णा का परिवार निवास करता है। उनके परिवार में अब उनके पिता एवं उनकी दो बहनें अर्पिता-अर्चिता रहती हैं।
उनकी मां की मृत्यु 2012 में हो गई थी। वो अपने IPS बनने की कामयाबी का पूरा श्रेय अपनी मां को देती हैं।उन्होंने कई इंटरव्यूज में बताया है कि उनकी मां ही उनकी मोटिवेशन और रोल मॉडल हैं, मां की सकारात्मक विचार एवं हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा के कारण से वो यहां तक पहुंची पाई हैं। मां ने कभी भी दिक्कतों में हार नहीं मानी एवं यही हमें भी सिखाया है। बेटों की तरीके से परवरिश की एवं हम तीनों बहनों को अपने कामयाबी की लक्ष्य तक पहुंचाया।
मां नीरा गुप्ता का अपर्णा से बेहद लगाव था, क्योंकि वो दो बेटियों के बाद जन्मी थी, तो बेहद ही ताने सुनने पड़े थे। जब वो चुप रहती एवं अपर्णा से बोलती थीं कि इन लोगों को कुछ बनकर सफलता प्राप्त काटकरदिखाना है। उनकी परिश्रम का ही परिणाम था कि उन्होंने केंद्रीय विद्यालय हल्दिया से 10 वी और 12 वीं में टॉप किया। उसके बाद इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी की, परंतुउनकी मां हमेशा बोलती रहती थी यहां नहीं आगे बढ़ो। मेरठ लौटकर उन्होंने अपर्णा को UPSC की प्रिपरेशन के लिए बताया एवं खुद ही अपर्णा को हिंदी, अंग्रेजी एवं करेंट अफेयर्स की प्रिपरेशन आरंभ करवाई।
परिक्षा से 5 दिन पहले ही हो गई थी मां की डेथ अपर्णा ने अपनी नौकरी पहली बार सिविल सर्विसेज की एक्जाम दी थी, तो उनकी मां ने 5 दिन पहले ही 15 मई 2012 को बीमारी के वजह से अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। रोते-रोते अपर्णा ने ये एग्जाम दी थी। उवमे तो पास वो हो गई थीं, परंतु मेन परिक्षा में वो दो नंबर से रह गई थीं। तब उन्होंने अपनी मां का लक्ष्य सच करने की निर्णय को ठान लिया था और 2015 में उन्होंने ने यह सिद्ध कर दिखाया।