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IAS बनने के लिए 9 लाख का पैकेज ठुकराया:काम आयु में शादी का दबाव, जातिसूचक ताने सहे
गाड़िया लोहार समाज आज भी पिछड़ा हुआ हैं। समाज के लोग की कम आयु की शादी करवा दी जाती है। मुझे भी ताना मिलता था कि शादी कर लें। मगर मैंने पढ़ाई पूरी की। अब IAS बनने का लक्ष्य है। यह कहना है, भीलवाड़ा की निवासी 21 वर्ष की सुंदर गाड़िया का। सुंदर ने जोधपुर से इंजीनियरिंग की है एवं अब यूपीएससी की प्रिपरेशन कर रही हैं। सिविल सेवा में जाने के हेतु सुंदर ने वेदांता ग्रुप के नौ लाख रुपए के पैकेज भी ठुकरा दिया।
चित्तौड़गढ़ के फतहप्रकाश महल में गाड़िया लोहार समाज ने स्वाभिमान प्रतिज्ञा मुक्ति दिवस पर सुंदर का सम्मान किया था। सुंदर ने बताया कि भले ही 67 वर्षो से गाड़िया लोहार अपनी आजादी का दिन मनते आए है, परंतु आज भी समाज से बेहद पिछड़ा हुआ है। समाज में केवल दो प्रतिशत बच्चे ही पढ़े-लिखे हैं। बेटियों की 8 से 10 वर्ष की आयु में ही शादी करवा दी जाती है। समाज की कुप्रथा को पीछे छोड़ते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की।
सुंदर ने बताया कि अगर मैं पढ़ सकती हूं तो समाज के बाकी बच्चे भी पढ़ सकते हैं। 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनके समाज के लिए काफी कुछ किया, परंतु इसके बावजूद भी आज भी स्थिति खराब हैं। पढ़ाई के मामले में हम सबसे पीछे हैं, यह विचलित करता है। सुंदर गाडिया ने अपने ननिहाल में रहकर पढ़ाई की। तीन भाई-बहनों में वह सबसे बड़ी हैं।
सुंदर ने जोधपुर से अपनी केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है। उसने कहा कि मेरे माता-पिता चंदा देवी एवं काशीराम पढ़े-लिखे नहीं हैं। उनके पास आज भी पक्का मकान नहीं है। वे मूलतः सुंदर कानोड़, जिला उदयपुर की हूं। लेकिन उनका बचपन से ही अपने चार मामा भंवरलाल, प्रभुलाल, गोपीलाल एवं नगजीराम के समीप भीलवाड़ा रहती है।
चारों मामा ने सुंदर को पाल-पोसकर बड़ा किया एवं शिक्षा भी पूरी करवाई। नाम भी सुंदर रखा। उसके तीन भाई-बहन हैं, उसमे वह सबसे बड़ी है। सुंदर ने बताया है कि हर दिन ताना मिलता था कि अब शादी की आयु हो गई है, शादी कर लेनी चाहिए। मैं डटी रही तथा उसका विरोध करती रही। सुंदर आत्मविश्वास के सहित बताती है, कलेक्टर बन सकती हूं, यह मैं जानती हूं। आज भी हमारे समाज की लड़कियां आठवीं या दसवीं तक ही पढ़ाई करती हैं।
सुंदर ने बताया कि उसके पिता हमेशा समाज के अनुसार से चलने की बात करते हैं। मगर मां उसे बड़ा ऑफिसर बनते देखना चाहती हैं। सुंदर ने UPSC की एग्जाम दी थी। 600 रैंक होने के वजह से उसने दोबारा UPSC की एग्जाम देने का निर्णय किया। वह बचपन से ही पढ़ने में अच्छी है। उन्होंने बताया कि कई बार मुझ पर भी शादी का दबाव डाला गया, परंतु मैं इस बात से इनकार करती रही। मेरा भाई फाइनल ईयर में पढ़ रहा है एवं बहन नौवीं तक ही पढ़ पाई और उसकी शादी करवा दी गई।
सुंदर के दसवीं कक्षा में 80 %, 12वीं में 80 % (साइंस मैथ्स में) और ग्रेजुएशन में 75% अंक प्राप्त किए है। आज भी उसके माता-पिता एवं मामा लोहे का ही कार्य करते हैं। सुंदर का कहना है कि 2019 में 7th सेमेस्टर में वेदांता ग्रुप से जॉब ऑफर भी आया था और 9 लाख रुपए का पैकेज भी ऑफर हुआ था,परंतु उसमें कलेक्टर बनने का जुनून था, इसी के हेतु IAS की प्रिपरेशन के लिए उसने नौकरी ज्वाइन नहीं की।
सुंदर ने बताया कि जोधपुर में मेरे साथ मेरे क्लास फेलो या किसी भी टीचर ने जातिवाद जैसे शब्दों का उपयोग नहीं किया एवं न ही मेरे साथ भेदभाव किया। मेरे समाज में ही जातिवाद जैसी कुप्रथा चलती है। हम किसी और के साथ खेलते हैं तो हमें बोल दिया जाता है कि हम गाड़िया लोहार हैं और आगे वाला ऊंची जात का। फिर उन्हे खेलने से भी रोक दिया जाता है। उन्होंने बताया कि आज मैं जहां भी पहुंची हूं वो केवल मामा के सपोर्ट एवं अपनी परिश्रम के कारण पहुंची हूं।