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बिहार के सर को सलाम, 11 रुपये गुरु दक्षिणा लेकर गरीब बच्चों को बना दिया IAS-IPS अफसर

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Government Officer बनाना हर किसी का सपना होता है, परंतु कुव्ह अपने सिचुएशन को देखकर पीछे हट जाते है तो कई पैसों की कमी के वजह से आगे बढ़ नही सकते। गरीबी एक ऐसा दीमक है, जो किसी को खुश नही देख सकती। जो आपने सिचुएशन से लड़कर आगे बढ़ गया हो सक्सेस उनके कदमो को चूमती है।

देश भर में मेडिकल, इंजीनियरिंग, बैंकिंग, आईएएस, आईपीएस जैसे कॉम्पिटेटिव परीक्षाओं के लिए पता नही कितने कोचिंग संस्थान होंगे। कोचिंग इंस्टीट्यूट चलाने वाले व्यक्ति अपने कोचिंग के प्रचार-प्रसार के लिए पता नहीं कौन-कौन से डाउपेंच आजमाते होंगे। इंस्टीट्यूट चलाने के नाम पर स्टूडेंट्स से मोटी रकम लेने के किस्से भी हर दिन सुनने को मिलते है। परंतु इन सबके मध्य बिहार की राजधानी पटना (Patna) में एक ऐसा कोचिंग है, जिसके बारे में सुनकर आप दंग हो जाएंगे।

हम आपको कहने जा रहे हैं, एक ऐसे गुरु के बारे में जो गुरु दक्षिणा के नाम पर लेते हैं, सिर्फ 11 रुपया और उनके सैकड़ों स्टूडेंट्स आज की डेट में आईपीएस अधिकारी (IPS Officer) और दारोगा हैं। सब इंस्पेक्टर, आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS), आईआरएस (IRS) और सीटीओ ऑफिसर बन चुके अदम्य अदिति गुरुकुल (Admya Aditi Gurukul) के सैकड़ों स्टूडेंट्स के हेतु गुरु रहमान (Rahman Sir) एक ऐसे गुरु हैं, जिन्होंने उनकी दुनिया बदल दी है।

जहां कॉम्पिटेटिव एग्जाम की तैयारी के लिए कोचिंग इंस्टीट्यूट लाखों की पैसे लेते हैं। फीस इतनी होती है गरीब बच्चे पढ़ने के लिए सोच नही पाते परंतु पटना स्थित नया टोला में अदम्य अदिति गुरुकुल संस्थान है, वो 11 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को दारोगा से लेकर IASऔर IPS बनाते है।

कौन है रहमान गुरु

गुरुकुल की सबसे अच्छी खासियत यह है कि वह अन्य कोचिंग इंस्टीट्यूट की तरह फीस के नाम पर अधिक फीस वसूली नहीं की जाती, जबकि स्टूडेंट्स से गुरु दक्षिणा के नाम बहुत कम पैसे लिए जाते हैं। पटना में स्थित नया टोला जगह में अदम्य अदिति गुरुकुल (Admya Aditi Gurukul) की स्थापना करवाने वाले गुरुदेव हैं, रहमान गुरु जी।

गुरु रहमान (Rahman Sir) एक मुस्लिम हैं, पर मुसलमान होने के बावजूद वेद (Ved) की जानकर हैं। उनके गुरुकुल में वेद की पढाई भी करवाई जाती है। वर्ष 1994 में गुरुकुल (Gurukul) ko एस्टेब्लिश करने वाले रहमान गुरुजी के यहां UPSC, BPSC और स्टॉफ सलेक्शन की तैयारी कराई जाती है।

गुरु दक्षिणा की फीस

गुरुकुल की सबसे उम्दा खासियत ये है कि यहां दूसरे कोचिंग इंस्टीट्यूट की तरह फीस के नाम पर मोटी रकम की वसूली नहीं की जाती, स्टूडेंट्स से गुरु दक्षिणा के नाम पर मात्र 11 रुपये लेते हैं 11 से बढ़कर 21 या फिर 51 रुपये फीस देकर ही गुरुकुल से अब तक सैकड़ों स्टूडेंट्स ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियरिंग तक की एग्जामिनेशन में सक्सेस प्राप्त की है।

सभी ने छोड़ा साथ

परंतु वह वक्त अलग था। हिंदू-मुस्लिम विवाह एक बड़ी परेशानी थी। उन्होंने अपने माता-पिता के आशीर्वाद के बिना विवाह कर ली। वह एक बात पर बहुत क्लियर थे कि हम में से कोई भी अपना धर्म बदलने वाला नहीं है और यह समाज द्वारा एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता था।

सभी ने उनका बहिष्कार किया और उन्हें कोई भी नौकरी नहीं मिली। लोगो ने बहुत भला बुरा कहा । पर फिर वी हौसले मजबूत था। ऐसे में रहमान ने अपने छोटे से भाड़े के कमरे में अपनी कक्षाएं शुरू कीं, जहां स्टूडेंट्स को जमीन पर बैठना पड़ता था। जबकि उनकी मेहनत और जुनून ने उन्हें आज वहां लाकर खड़ा कर दिया जहां हर एक इंसान के पहुंचने की दिली इक्छा होती है।

1994 ने बदली किस्मत

एक पुलिस इंस्पेक्टर का बेटे होने के वजह से वह हमेशा से एक IPS ऑफिसर बनना चाहते थे। पिता का सपना था कि बेटा ऑफिसर बने। वह कई कंपिटेटिव परीक्षाओं को वी दिया । कुछ को पास भी किया था, इसलिये उन्होंने अपने स्टूडेंट्स को UPSC, IAS और BPSC जैसी कई प्रतियोगी परीक्षाओं और यहां तक कि लिपिक पदों की एग्जाम के लिये कोचिंग (Coaching) से पढ़ना शुरू कर दिया।

उनके कोचिंग (Coaching) ने देखते ही देखते बड़ा रूप ले लिया। हर स्टूडेंट्स (Students) उनसे आज शिक्षा प्राप्त करना चाहते है। 1994 उनके लिए लाइफ टर्निंग वाला साल था। वह तब चर्चा में आये जब 1994 में बिहार में 4000 सब इंस्पेक्टरों की भर्ती हुई, जिनमें से 1100 रहमान के कोचिंग से थे।

एक स्टूडेंट्स ने बदली किस्मत

एक स्टूडेंट ने बदली जिंदगी । एक बार एक छात्र उनके पास सिर्फ कुछ मार्गदर्शन के लिये आया था क्योंकि उस छात्र के पास पैसों की कमी थी वो मशहूर कोचिंग सेंटर जाने में असमर्थ था, लेकिन रहमान ने स्टूडेंट को प्रतिभाशाली पाया और अपनी क्लासेस में शामिल होने को कहा। छात्र पढ़ाई में होशियार दिख रहा था। उसके भीतर कुछ कर गुजरने का जुनून दिख रहा था।

उस छात्र के पिता नही थे। रहमान ने वह लड़के से मात्र 11 रुपये की गुरु दक्षिणा ली। वह छात्र शादिक आलम अब ओडिशा के नुआपाड़ा के जिला कलेक्टर हैं। उसके बाद, रहमान ने वंचित पृष्ठभूमि के ज्यादा छात्रों को पढ़ना शुरू कर दिया और उन्हें मात्र 11 रुपये में शिक्षा देना शुरू किया।

10 हजार से ज्यादा बच्चे हुए शिक्षित

गुरु रहमान कहते हैं- मेरी इंस्टीट्यूट से 10,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स ने शिक्षा प्राप्त की है। सबने अपनी भुगतान कैपेसिटी के अनुसार फीस दिए है। 2007 तक, रहमान को गुरु रहमान के नाम से जाना जाने लगा। जिसमे से 3,000 स्टूडेंट्स को सब इंस्पेक्टर, 60 IPS officer और 5 IAS officer के रूप में सामिल किया गया है और कई दूसरे आधिकारिक पदों पर हैं।

एक अन्य स्टूडेंट , बिहार के पूर्णिया जिले के एक सेवानिवृत्त प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक की बेटी, मीनू कुमारी झा, एक IPS officer बनने की इक्षा थी। लेकिन उसे कोचिंग का समझ नही आ रहा था कहा सही शिक्षा प्राप्त होगी । शिक्षा ही एक ऐसा जरिया है जिसके द्वारा हमे सफलता की ओर जा सकते है। वह आज एक IPS officer है और उससे गुरु रहमान ने सिर्फ 11 रुपये की दक्षिणा ली। पुराने इतिहास और संस्कृति में ट्रिपल एमए और पीएचडी की।

अपनी बेटी के नाम पर रखा गुरुकुल का नाम

उन्होंने अपनी इंसिट्यूट का नाम अपनी बेटी के नाम पर अदम्य अदिति गुरुकुल रखा है । रहमान और अमिता भी धार्मिक सद्भाव के चिन्ह बन गये क्योंकि उन्होंने अपने बच्चों के नाम पर अदम्य अदिति और अभिज्ञान अरिजीत रखा। कभी सरनेम लगाने का विचार भी नहीं किया।