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परिवार था खिलाफ, घर में रहकर ऐसे की UPSC एग्जाम की प्रिपरेशन, जाने इनकी संघर्षों की कहानी

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संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस एग्जाम UPSC की प्रिपरेशन के हेतु स्टूडेंट्स सालों-साल तक परिश्रम करते हैं एवम फिर भी सफलता नहीं प्राप्त हो पति है, परंतु कुछ स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं जो बिना कोचिंग के घर पर रहकर परिक्षा क्लिकर कर लेते हैं। ऐसी ही कहानी हरियाणा के नसरुल्लागढ़ की निवासी वंदना सिंह चौहान है, उन्होंने परिवार के विरोध के बावजूद UPSC परिक्षा में सफलता मिलेगी की और 8वीं रैंक प्राप्त कर IAS बनने का लक्ष्य पूरा किया।

वंदना सिंह चौहान के लिए IAS ऑफिसर बनने का सफर उतना आसान नहीं था, इसलिए क्योंकि उनका पूरा परिवार पढ़ाई के खिलाफ था। वंदना का जन्म हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव के एक पारंपरिक परिवार में हुआ था तथा उनके घर में लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने का चलन नहीं था।

दादा, ताऊ, चाचा तथा परिवार के अन्य पुरुषों के विरोध के बावजूद वंदना सिंह चौहान के पिता बेटी की जिद्द के आगे वे झुक गए। उन्होंने वंदना को स्टडी के लिए मुरादाबाद के पास लड़कियों के गुरुकुल में पढ़ने के हेतु भेज दिया। वे बताते हैं कि बेटी को पढ़ाने के हेतु मैंने सबका गुस्सा झेला, सबकी नजरों में बुरा बना, परंतु अपना निर्णय नहीं बदला। गुरुकुल में रहकर 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद वंदना सिंह चौहान ने घरपर रहकर लॉ की पढ़ाई की एवम कभी कॉलेज नहीं गई। परिक्षा देने के हेतु भी उनके पिता अपने साथ लेकर जाते थे। यहां तक कि वंदना पढ़ाई के हेतु बुक्स भी ऑनलाइन मंगाती थीं या उनका भाई खरीदकर लाता था।

इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक़ , वंदना सिंह चौहान ने लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद UPSC एग्जाम की प्रिपरेशन शुरू की और गुरुकुल में सीखा हुआ अनुशासन प्रिपरेशन के दौरान बेहद काम आया। UPSC परिक्षा की तैयारी के हेतु वंदना ने ना ही कोई कोचिंग जॉइन की एवम ना ही किसी ने उनकी सहायता की। घर पर रहकर वंदना रोजाना 12-14 घंटे की पढ़ाई करती थी। वंदना सिंह चौहान ने कड़ी परिश्रम से एक वर्ष तक UPSC परिक्षा की तैयारी की और पहले अटेम्प्ट में ही कामयाबी हासिल कर ली। वंदना ने वर्ष 2012 में ऑल इंडिया में 8वीं रैंक प्राप्त कर IAS ऑफिसर बनने का सपना पूरा किया।