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ट्रेनों को दुर्घटना से बचाएगा ‘कवच’, जानिए आखिर क्या है रेलवे की यह तकनीक
रेलवे के मध्यम से करीब रुपए 151 करोड़ की निविदा जारी कर दी गई है। इस प्रणाली को पूर्व मध्य रेल के अन्य जरूरी रेलखंडों पर भी स्थापित करने के प्रॉसेस पर तेजी से काम करवाया जा रहा है। भारतीय रेलवे को देश की लाइफ लाइन कहा जाता है। देश की अधिकतर आबादी का एक बड़ा हिस्सा रोजाना ट्रेन के माध्यम सफर मे करता है। ऐसे में ट्रेनों को सुरक्षित चलाना रेलवे के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। परंतु उसके सहित ही भारतीय रेलवे यात्री संरक्षा और सुरक्षा के प्रति सदैव तत्पर रहते है एवम इसके हेतु नित नई तकनीकों का इस्तेमाल भी करती रहती है। इसी क्रम में पूर्व मध्य रेल जरिए ट्रेनों के संरक्षित परिचालन हेतु पं.दीनदयाल उपाध्याय जं. से प्रधानखांटा तक ‘कवच’‘ प्रणाली की स्थापना की दिशा मे पहल कर रही है।
इसके हेतु रेलवे द्वारा करीब रुपए 151 करोड़ धनराशि की निविदा जारी कर दी गई है। इस प्रणाली को पूर्व मध्य रेल के अन्य जरूरी रेलखंडों पर भी स्थापित करने के प्रॉसेस पर तेजी से काम कवाया जा रहा है। करीब 408 रूट किमी लंबे पं.दीनदयाल उपाध्याय जं.-मानपुर-प्रधानखांटा रेलखंड भारतीय रेल के दिल्ली-हावड़ा रेलखंड के व्यस्तम मार्ग का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह रेलखंड उत्तर प्रदेश, बिहार एवम झारखंड राज्य से होकर गुजरता है। इस रेलखंड पर 8 जंक्शन स्टेशन साथ ही कुल 77 स्टेशन, 79 लेवल क्रॉसिंग गेट तथा 07 इंटरमीडिएट ब्लॉक सिग्नल हैं। इस रेलखंड पर सारे प्रकार के मिश्रित यातायात यथा माल ढुलाई, मेल/एक्सप्रेस, पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन करवाया जाता है। वर्तमान में इस रेलखंड पर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार स्वीकृत है और मिशन गति के जरिए इसे बढ़ाकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करने हेतु काम किया जा रहा है।
‘कवच’ एक टक्कर रोधी तकनीक है। यह प्रौद्योगिकी रेलवे को शून्य दुर्घटनाओं के अपने लक्ष्य को हासिल करने में सहायता करेगी। यह प्रौद्योगिकी माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम तथा रेडियो संचार के जरिए से कनेक्ट रहता है। जैसे ही यह तकनीक एक निश्चित दूरी के अंदर उसी ट्रैक में दूसरी ट्रेन का पता लगता है, तो ट्रेन के इंजन में लगे उपकरण के माध्यम से लगातार सचेत करते हुए स्वचालित ब्रेक लगाने में कैपेबल है।
कवच एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है जो आरडीएसओ द्वारा विकसित सुरक्षा अखंडता के उच्चतम स्तर SIL4 प्रमाणित है। यह प्रणाली लोको पायलट को सिगनल के सहित ही अन्य पहलुओं की स्थिति, स्थायी गति प्रतिबंध (PSR) के बारे में इंडिकेशन देता है तथा ओवर स्पीड के बारे ड्राइवर को इंडिकेट करता रहता है। अगर लोको पायलट प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो प्रणाली पूर्व-निर्धारित वक्त के बाद ब्रेक लगाने की शुरुआत स्वतः करने लग जाता है।
कवच प्रणाली मौजूदा सिग्नलिंग सिस्टम के सहित कॉन्टैक्ट बनाये रखता है और इसकी इनफॉर्मेशन परिचालन से कनेक्ट प्राधिकृत व्यक्तियों को लगातार साझा करता रहता है। यह प्रणाली किसी भी आपात स्थिति में स्टेषन और लोको ड्राइवर को तत्काल कार्रवाई हेतु सचेत करने, साइड-टक्कर, आमाने-सामाने की टक्कर और पीछे से होने वाली टक्करों की रोकथाम करने में हर प्रकार से सक्षम है। उसके सहित ही यह सिस्टम रोल बैक/फॉरवर्ड तथा रिवर्स मूवमेंट की स्थिति में निरंतर इंडिकेट करता है और समपार फाटकों की इनफॉर्मेशन स्वचलित सिटी के जरिए से प्रदान करता है।
इस संदर्भ में इनफॉर्मेशन देते हुए पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ वीरेंद्र कुमार द्वारा बताया गया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे जंक्शन-मानपुर -प्रधान्खाटा रेल रूट पर कवच प्रणाली की स्थापना की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है तथा इस प्रणाली की स्थापना के बाद इस रेलखंड पर ट्रेनों की सुरक्षा तथा संरक्षा मे बहुत सहायता मिलेगी।