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घरवालो को बिना बताए बस कंडक्टर की बेटी ने यूपीएससी की तैयारी कर पहली प्रयास में बनी IPS अफसर, जाने पूरी कहानी
सिविल सर्विसेज की कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए छात्र को कई मुश्किलों का सामना और कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसी ही कहानी शालिनी अग्निहोत्री है जो हिमाचल प्रदेश के ऊना के ठठ्ठल गांव की रहने वाली है। इन्होंने अपने घरवालों को जानकारी दिए बिना यूपीएससी एग्जाम की तैयारी कर पहले कोशिश में ही आईपीएस ऑफिसर बनी।बातचीत में शालिनी ने बताया कि उन्हें 10वीं की एग्जाम में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे। वहीं 12वीं की परीक्षा में सिर्फ 77 प्रतिशत अंक ही हासिल हुए। लेकिन उनके मां–पिता ने गुस्सा न करते हुए उनपर भरोसा दिखाया और पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
बातचीत में शालिनी ने बताया कि उन्हें 10वीं की एग्जाम में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे। वहीं 12वीं की परीक्षा में सिर्फ 77 प्रतिशत अंक ही हासिल हुए। लेकिन उनके मां–पिता ने गुस्सा न करते हुए उनपर भरोसा दिखाया और पढ़ने के लिए प्रेरित किया। धर्मशाला के डीएवी स्कूल से 12वीं की पढ़ाई खत्म करने के बाद पालमपुर में हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से कृषि के क्षेत्र में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के साथ ही उन्होंने यूपीएससी की भी तैयारी शुरू कर दी।
शालिनी अग्निहोत्री कॉलेज के साथ ही यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करती थीं लेकिन इस बात को उन्होंने घरवालों से नहीं की। शालिनी को दर था कि इतनी अगर वे असफल हुई तो कहीं घरवाले निराश न हो जाएं। उन्होंने सेल्फ स्टडी कर यूपीएससी एग्जाम की तैयारी की। शालिनी ने मई 2011 में यूपीएससी एग्जाम को दिया और उस एग्जाम में ऑल इंडिया 258वीं रैंक हासिल कर पहले प्रयास में ही आईपीएस बनी।
शालिनी अग्निहोत्री के पिता रमेश अग्निहोत्री एक बस कंडक्टर थे। फिर भी अपने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। शालिनी की एक बड़ी है जो कि डॉक्टर है। उनका एक छोटा भाई इन्डियन आर्मी में सेवा प्रदान कर रहे है। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में पुलिस अधीक्षक के पद पर पहली पोस्टिंग हुई। वहां जुर्म के खिलाफ अभियान चलाया और कई बड़े अपराधियों को गिरफ्तार किया। एक साहसी पुलिस वालों में उनकी गिनती होती है।