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किताब खरीदने तक के पैसे न होने के बावजूद अखबार की मदद से UPSC की तैयारी कर बनीं IAS, जानिए पूरी कहानी

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जीवन में अगर सफल होना है तो उसके लिए संघर्ष भी करना होगा। जीवन में कई मुश्किलें आएंगी, लेकिन जो लोग उसे पर करते हैं उन्हें सफलता मिल जाती है। हम एक ऐसी ही एक शख्स के बारे में जानेंगे जिसने गरीबी से लड़कर जीवन में सफल हुई और अन्य गरीब लोगों के लिए एक संदेश दिया कि गरीबी हमें सफल होने से नहीं रोक सकती। कर्नाटक के कोडागु जिले में डिप्टी कमिश्नर के पद पर एनीस कनमनी जॉय अपने इस सफलता और अपने कामों को वजह से चर्चे में है।

एनिस कभी मुश्किलों के आगे घुटने नहीं टेकी

एनिस ने कोरोना संक्रमण के समय में सुरक्षा के लिए काफी मेहनत की और लोगों को जागरूक करने का काम किया। उनकी इसी मेहनत के कारण कोडागु जिले में एक महीने तक एक भी कोविड केस सामने नहीं आया। एनिस के पिता एक किसान हैं और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी जिसकी वजह से उनके पास किताब खरीदने के पैसे तक नहीं थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

आईएएस ऑफिसर के साथ–साथ नर्स भी हैं एनिस

आईएएस ऑफिसर बनने से पहले वे एक प्रोफेशनल नर्स थे। वे नर्स की जॉब करने के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और 2012 में एग्जाम में सफलता प्राप्त कर 65वीं रैंक हासिल की ओर आईएएस बनीं। एनिस ने त्रिवेंद्रम मेडिकल कॉलेज नर्सिंग में बीएससी की डिग्री हासिल की। वे शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी थी। उन्होंने एमबीबीएस की परीक्षा के बाद नर्सिंग में ग्रेजुएशन किया।

अखबार की मदद से की यूपीएससी परीक्षा की तैयारी

एनिस के पिता अपनी बेटी को आईएएस बनता देखना चाहते थे। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिए ऑप्शनल विषय में मलयालम लिटरेचर और मनोविज्ञान का चयन किया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उनके पास किताब खरीदने तक के पैसे नहीं थे। ऐसी स्थिति में एनिस ने सेल्फ स्टडी और अखबार की मदद से तैयारी की।

65वीं रैंक हासिल कर यूपीएससी परीक्षा में हुई सफल

एनिस ने 2010 में जब पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी तो उन्हें 580वीं रैंक हासिल की। लेकिन वे खुश नहीं थी इसलिए उन्होंने दुबारा परीक्षा देने का फैसला किया।
दूसरे कोशिश में एनिस ने 65वीं रैंक हासिल कर सफलता प्राप्त की। अपने पिता का सपना पूरा किया और आईएएस ऑफिसर बनीं।