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एक गार्ड का बेटा जिसने दूसरों से किताब मांग कर की थी पढ़ाई, संघर्ष कर बना आईआरएस ऑफिसर
देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित सिविल सर्विसेज की परीक्षा को लेकर छात्रों में अलग ही जुनून देखने को मिलता है। सिविल सर्विसेज की तैयारी से ऑफिसर बनने के इस सफर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से काफी समय लग जाता है लेकिन वो कहते हैं न कि सफलता वक्त मांगती है। आज हम जानेंगे कुलदीप द्विवेदी के बारे में।
कुलदीप द्विवेदी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। उनके पिता लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक गार्ड की नौकरी करते हैं। परिवार की स्थिति खराब रहने के कारण उनका भरण पोषण में काफी दिक्कत होती थी। लेकिन उनके पिता ने कुलदीप की पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कुलदीप ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। 2013 में कुलदीप का बीएसएफ में कमांडेंट की नौकरी के लिए चयन हुआ। लेकिन वे सिविल सेवा में जाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसके ट्रेनिंग में भाग नहीं लिया।
कुलदीप को शुरुआती दो बार असफलता का सामना करना पड़ा,लेकिन वे हार नहीं माने। उन्होंने जमकर तैयारी की ओर अगले प्रयास में 242वीं रैंक हासिल कर आईआरएस ऑफिसर के रूप में चयनित हो गए। कुलदीप ने जब अपने पिता को यह खबर सुनाई तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ।
कुलदीप ने इसका सारा श्रेय अपने पिता को दिया है। छोटे से परिवार से ताल्लुख रखने वाले कुलदीप आईआरएस ऑफिसर बनकर कई छात्रों के लिए प्रेरणा बन गए। पिता और परिवार के उम्मीदों पर खड़े उतरने वाले कुलदीप युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं।