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ISRO का मिशन Aditya-L1: सूर्य का नजदीक से करेगा निरीक्षण, 24 घंटे करेगा इमेजिंग
यह सूर्य का नजदीक से निरीक्षण करेगा तथा उसके वातावरण तथा चुंबकीय एरिया का अध्ययन करेगा। यह एस्ट्रोसैट के 6 वर्ष बाद ISRO का दूसरा अंतरिक्ष आधारित खगोल मिशन होगा। उसका लक्ष्य एक्स-रे, ऑप्टिकल एवम यूवी स्पेक्ट्रल बैंड में आकाशीय स्त्रोतों का एक सहित अध्ययन करना है। कह दें कि एस्ट्रोसैट मिशन वर्ष 2015 में आरंभ किया गया था।
कोविड-19 की तीसरी वेव का असर कम हो रहा है। ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा वर्ष 2022 के अपने स्पेस अन्वेषण की प्रिपरेशन शुरू कर दी है। उसमे गगनयान से लेकर आदित्य L1, चंद्रयान-3, SSLV है। ISRO का लक्ष्य है कि पिछले दो साल से हुई देरी की इस वर्ष भरपाई की जा सके। इसके हेतु इसरो द्वारा इस वर्ष का अपना कैलेंडर भी जारी कर दिया है। उसमे आदित्य L1 मिशन बहुत प्रमुख है।
आदित्य L1 मिशन के वर्ष 2020 में शुरू होने की आशा थी। परंतु, कोविड-19 के कारण से यह स्टार्ट नहीं हो सका। यह सूर्य का नजदीक से निरीक्षण करेगा तथा उसके वातावरण एवम मैग्नेटिक एरिया का अध्ययन करेगा। यह एस्ट्रोसैट के 6 वर्ष बाद ISRO का दूसरा अंतरिक्ष आधारित खगोल मिशन होगा। उसका लक्ष्य एक्स-रे, ऑप्टिकल एवम यूवी स्पेक्ट्रल बैंड में आकाशीय स्त्रोतों का एक सहित अध्ययन करना है।
ISRO ने इसे 400 किग्रा वर्ग के उपग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान XL (PSLV-XL) से लॉन्च किया जाना है। आदित्य L1 को सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य स्थित L-1 लग्रांज बिंदु के समीप स्थापित किया जाएगा। इसे 7 पेलोड के सहित पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एक्सएल (PSLV XL) का इस्तेमाल करके लॉन्च किया जाना है। जो कि सूर्य के कोरोना, सूर्य के प्रकाश क्षेत्र, क्रोमोस्फीयर, सौर उत्सर्जन, सौर वायु , फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन का अध्ययन करने के सहित ही सूर्य की 24 घंटे इमेंजिंग करेगा।
बता दें कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। आदित्य L1 में कुछ चलते घटक होंगे जो टकराव के खतरा को बढ़ाते हैं। L1 बिंदु सौर तथा SOHO का एक प्रकार से घर है। यह NASA और ESA की एक अंतर्राष्ट्रीय सहायता परियोजना है। L1 बिंदु पृथ्वी से करीब 1.5 मिलियन किमी दूर है। यह पृथ्वी-सूर्य प्रणाली की कक्षीय विमान में 5 बिंदुओं में से एक है।