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IPS से IAS बनी अधिकारी ने निजी रुपयों से आंगनवाड़ी केंद्र को बना दिया ‘डिज़्नी लैंड’, सोशल मीडिया पर चर्चा

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सिविल सर्विस में आने के बाद से गरिमा सिंह निरंतर चर्चा में हैं। पहले IPS फिर IAS बनी गरिमा सिंह ने एक आंगनवाडी केंद्र को बच्चों के हेतु ‘डिज़्नी लैंड’ के तरह बना दिया है। पहले जहां बच्चे जाने से मना करते थे, वहीं गरिमा सिंह ने अपने रुपए खर्च कर आंगनवाड़ी केंद्र को मॉडल आंगनवाड़ी केंद्र में बदल कर रख दिया है। सोशल मीडिया में उनके इस कार्य की खूब चर्चा हो रही है। गरिमा सिंह इस वर्तमान में झारखंड के हजारीबाग़ में जिला समाज कल्याण ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। वह उत्तर प्रदेश के बलिया के गांव कथौली की निवासी है।

गरिमा सिंह कहती हैं कि हजारीबाग के मटवारी में स्थित आंगनवाड़ी केंद्र बुरी कंडीशन में था। बच्चे यहां जाते नहीं थे। अगर इसे सही नहीं किया जाता तो बच्चों को यह पसंद नहीं होता एवं पसंद आ भी नहीं रहा था। उन्होंने इसे सुधारने का विचार किया। उन्होंने यहां विज़िट किया तथा अपने बचत के पैसों से इसे नया बनाने का कार्य आरंभ कर दिया। इस कार्य में 50 हज़ार से एक लाख तक की धनराशि का खर्चा आया। उन्होंने वहा के हेतु एजुकेशनल चार्ट, चेयर, टेबल, किताबों का व्यवस्था कराया। केंद्र को उन्होंने पूरी प्रकार से नया और नायब बना दिया। गरिमा सिंह बताती हैं कि बच्चों के हेतु ये आवास्यक था।

IAS ऑफिसर गरिमा सिंह बताती हैं कि ज़ल्द ही हजारीबाग़ के कलक्टर रवि शंकर शुक्ल इसका शुभारंभ करेंगे। वह बताती हैं कि हर ऑफिसर, जन प्रतिनिधि को ऐसे कदम उठाने चाहिए। उतना वह सरलता से कर सकते हैं।वह आगे भी दूसरे आंगनवाड़ी केंद्रों को सही कराने की कोशिश करेंगी।

गरिमा सिंह यूपी के बलिया के गांव कथौली गांव की निवासी हैं। 14 फरवरी, 1987 को जन्मी गरिमा सिंह 2012 में IPS ऑफिसर बनी थीं। 2016 में वह झांसी में एसपी सिटी के पद पर तैनात थीं, इस समय उन्होंने पढ़ाई जारी रखी तथा IAS बन गईं। वह पहले MBBS कर डॉक्टर बनना चाहती थीं, परंतु उनके पिता चाहते थे कि वह सिविल सर्विस में जाएं। पापा के कहने पर उन्होंने सिविल सर्विस की प्रिपरेशन आरंभ की। दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए, एमए (हिस्ट्री) करने के बाद सिविल सेवा की प्रिपरेशन की। 2012 में पहले ही परीक्षा में उन्हें कामयाबी मिल गई। गरिमा सिंह बताती हैं कि कई क्षेत्र में ऐसे होते हैं जहां के गरीब बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। वह इन बच्चों को खुद पढ़ाना चाहती हैं। हजारीबाग़ में आंगनवाड़ी केंद्र को सुधरवाना इसी प्लान का भाग है।

गरिमा सिंह एक छोटे से गाँव में जन्मी हैं। कहती हैं कि वह अपने खानदान में पहली इकलौती सदस्य हैं, जो IPS बनीं और फिर IAS। वह कहती हैं कि IPS रहते हुए IAS इसलिए चुना क्योंकि IAS रहने पर दायरा बढ़ जाता है। लोगों की सहायता अधिक बेहतर तरीके से कर सकते है। गरिमा सिंह लखनऊ में दो वर्ष तक अंडरट्रेनिंग एएसपी के तौर पर रहीं। उन्हें लखनऊ के बहुचर्चित मोहनलाल गंज रेप केस की जांच टीम में सम्मिलित किया गया था। उसके बाद वह झांसी में एसपी सिटी के स्वरूप में लोकप्रिय हुईं। उसके अलावा उन्होंने 1090 को स्थापित करने में सहायता की थी।