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27 स्पेशल बच्चों की माता-पिता बनकर सेवा करता है यह युवा कपल, खुद उठाते हैं सारा खर्च
उपलेटा तालुका (गुजरात ) की किरण पिठिया तथा उनके पति रमेश पिठिया ने विवाह के बाद, बड़ा घर या किसी लंबे ट्रिप पर जाने की प्लान नहीं बनाई, जबकि उन्होंने ऐसे दिव्यांग बच्चों की सेवा करने का निर्णय लिया, जिनके माता-पिता आर्थिक रूप से ठीक नहीं हों या जो रिश्तेदारों के माध्यम से पल रहे हों।
ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है कि पति-पत्नी दोनों की जिन्दगी का लक्ष्य एक ही हो। परंतु किरण और उनके पति रमेश हमेशा से दिव्यांगों के प्रति अधिक सहानुभूति रखते थे। इसका वजह यह है कि किरण बचपन से अपने दिव्यांग भाई के सहित ही पली-बढ़ी हैं तथा ऐसे विशेष बच्चों की दिक्कतों को बड़े अच्छे से समझती हैं। वहीं, रमेश एक स्पेशल एजुकेटर हैं एवम उपलेटा के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाते हैं।
किरण बताती हैं, “उन्हे हमेशा से ऐसे आवस्कत्तापूर्ण बच्चों के हेतु कुछ करने की कामना थी, उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वह कुछ कर सकेंगी। परंतु जब उन्होंने अपने पति से अपने इस बात का प्रस्ताव रखा, तो उन्होंने किरण का साथ देने का निर्णय लिया। हम गांव के आस-पास कई ऐसे बच्चों को देखते ,जानते थे, जिन्हें सहारे की आवश्कता थी।” उस समय, किरण की आयु सिर्फ 25 वर्ष थी और वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया करती थीं, परंतु जब उन्होंने संस्था निर्माण का निर्णय किया, तब उन्होंने जॉब छोड़ दी। वहीं, रमेश ने जॉब करना जारी रखा।
उन्होंने सिर्फ 10 बच्चों के साथ ही आरंभ किया था,उसके हेतु उन्होंने एक घर को भाड़े पर लिया तथा बच्चों के हेतु बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई । ‘दिव्य ज्योत दिव्यांग’ नाम से उन्होंने अपनी इंस्टीट्यूट का रजिस्ट्रेशन भी कराया, ताकि अधिक लोगों की सहायता मिल सके । उन्होंने इस कार्य के हेतु दो-तीन लोगों को कार्य पर भी रखा, उसके सहित ही किरण भी 24 घंटे सेवा के लिए उपस्थिति रहती हैं।
नेक कार्य को मिला सामाजिक सहयोग
रमेश, बच्चों को वोकेशनल ट्रेनिंग देने तथा पढ़ाने का कार्य करते हैं। रमेश बताते हैं, “उन्हे आरंभ में इस संस्था को चलाने में हर माह लगभग 50 हजार रुपये का लागत का खर्च आता था। संस्था में रहनेवाले दिव्यांगों के परिवार से कोई सहायता नहीं मिलती थी, जबकि अधिकतर बच्चे बहुत गरीब परिवार से आते हैं। परंतु जैसे-जैसे लोगों को हमारे कार्य के बारे पता चलता चला, उन्होंने अपने गांव साथ आस-पास के गांवों से भी सहायता मिलने लगी। कई लोग अपने जन्मदिन पर उपहार और पैसों की सहायता करने लगे।”
किरण के हेतु यह कार्य शुरुआत में काफी कठिन था, क्योंकि उन्हें अपने से बड़ी आयु के दिव्यांगों की भी सेवा करनी पड़ती थी। परंतु वह इसे अपने जिंदगी के खास लक्ष्य समझती हैं, इसी के हेतु वे घबराने के बजाय उन्होंने हिम्मत से कार्य लिया। फिलहाल, वह अपने खुद के छह वर्ष के बेटे की संभालने के सहित, इन दिव्यांगों की सेवा भी करती हैं।
यह दम्पति डोनेशन के माध्यम से संस्था के हेतु एक मकान बना रहे हैं। संस्था में अभी 27 बच्चे हैं, परंतु उनका मानना है कि अधिक सुविधा होने से वे और आवस्कतापूर्ण लोगों की सहायता कर पाएंगे। आप उनकी संस्था के बारे में जानने या उन तक अपनी सहायता पहुंचाने के हेतु उन्हें 9714536408 पर सम्पर्क कर सकते हैं।