MOTIVATIONAL
हर रेलवे क्वार्टर में पेड़–पौधे लगाने का करते हैं काम, हर साल जीतते हैं अवॉर्ड
वर्तमान समय में बहुत से लोग हैं जिनको प्रकृति एक अलग ही लगाव होता है। उन्हीं लोगों में से एक हैं लखनऊ के रहनेवाले राजीव कुमार। वह अभी तक जहां भी रहे हैं वहां उन्होंने अपने गार्डेनिंग के शौक को पूरा किया। उनके पिता को भी प्रकृति से काफी जुड़ाव है। इसका पता इस बात से चलता है कि उनके पिता को पटना में जब एक सरकारी क्वार्टर मिला था तो वे वहां सब्जियां के साथ फल–फूल भी लगाते थे। शायद अपने पिता से ही राजीव को भी गार्डेनिंग के प्रति लगाव हो गया।
राजीव जब अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रांची गए तो वहां भी वे पौधे लगाया करते थे। इसके बाद रेलवे में उनकी नौकरी हो गई। वहां भी उन्होंने अपने इस शौक को अपने से अलग नहीं किया। उनका पेड़–पौधों से एक अलग ही लगाव था। उनका ट्रांसफर हमेशा कहीं न कहीं होते रहता है। वे कहते हैं कि मैने गोरखपुर में कुछ समय व्यतीत करते हुए वहां भी गार्डेनिंग किया था। उनका प्रयास है कि जहां भी उनका ट्रांसफर हो वह उन पौधों को साथ लेकर जाए।
राजीव फिलहाल लखनऊ में विगत सात वर्षों से रह रहे हैं। लखनऊ आने के बाद उन्होंने वहां के मिट्टी के बारे में समझा कि यहां किस तरह के पौधे अच्छे से लग सकेंगे। इसके बाद उन्होंने चीकू, आम, लीची, अनार जैसे बड़े पेड़ लगाना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने क्यारियां बनाकर अलग-अलग मौसमी फूल और सजावटी पौधे लगाने का काम किया। अन्य गार्डेनिंग के शौकीन लोग उनसे मिलने आते हैं तो उनके द्वारा लगाए गए गार्डन उन लोगों को काफी अच्छा लगता है।
राजीव गार्डेनिंग से संबंधित कई किताब भी पढ़ते हैं। उनके गार्डन में लगभग 50 से अधिक सब्जियां उगती हैं।मौसम के मुताबिक क्यारियों में इन सब्जियों को लगाया जाता है। उनके गार्डन में एक छोटा पॉन्ड भी बना है जिसमें कई प्रकार में वॉटर लिली लगे हैं। वे बताते हैं कि उन्हें वॉटर लिली का काफी शौक है इसलिए उनका ट्रांसफर होने पर उसे एक टब की मदद से अपने साथ ले जाते हैं।
उन्होंने एक छोटा सा तालाब भी बनाया है जिसमें विशेष व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही वह पौधों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते हैं। उन्होंने बताया कि रेलवे का एक हॉर्टिकल्चर विभाग भी है जिसमें पहले पौधों की रोपें भी मिल जाया करती थीं। गवर्नर हाउस की ओर से गार्डेनिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस प्रतियोगिता में राजीव विगत आठ वर्षों से भाग ले रहे हैं और कोई न कोई अवॉर्ड जीत ही रहे हैं।
उनका गार्डन लगभग 100 स्क्वायर मीटर क्षेत्र में फैला है। उनकी पत्नी रचना है जिन्हें बोन्साई का काफी शौक है। वह वर्ष 2000 से बोन्साई के कई पौधे तैयार करने का काम कर रही हैं। सर्दियों में उनके घर में करीब 50 किस्मों के फूल खिलते हैं जिससे उनके गार्डन का एक अलग दृश्य देखने को मिलता है। वह अपने इस शौक से अन्य लोगों को भी प्रकृति के प्रति जागरूक कर रहे हैं।