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सास-बहु ने बिहारी खाने में लगाया प्यार का ‘छौंक’, प्रति माह कमा रहीं लाखों रुपये

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लिट्टी चोखा, सत्तु की कचौड़ी तथा सत्तू के शर्बत जैसे बिहारी खाने में अपनेपन और स्वाद का तड़का लगाकर सास-बहु की जोड़ी आज हर महीने लाखों रुपए तक कमा रही है। दिल्ली में कार्य करनेवाले आसिफ नईम को बिहारी चम्पारण मटन बहुत लगाव है। वह माह में करीब दो बार इसे जरूर मंगवाते हैं। परंतु आसिफ, यह मटन किसी होटल से नहीं, जबकि सास-बहू के क्लाउड किचन से मंगवाया करते हैं।

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के निवासी आसिफ द्वारा बताया गया हैं की, “अगस्त से अभी तक, उन्होंने दस बार इसका ऑर्डर दिया है। ‘द छौंक’ की क्वॉलिटी और टेस्ट लाजवाब है। यह एकदम घर में बने खाने को तरह ही लगता है तथा मेरी उन यादों को भी याद दिलाता है, जब मैं हर रोज घर में बना स्वादिष्ट खाना खाया करता था। जब सास और बहु की जोड़ी ने अपने इस स्टार्टअप ‘द छौंक’ की शुरू किया था , तब उनका मन इसी प्यार तरह के अपनेपन की खोज में था, जो आज उन्हें अपने कस्टमर द्वारा से मिल रहा है।

हिरण्यमयी शिवानी तथा उनकी बहु मंजरी सिंह पटना, बिहार की निवासी हैं। वर्ष 2011 में वे परिवार के सहित दिल्ली आकर रहने लगे । इन दोनों को बिहारी खाना बहुत पसंद है और इसे बनाने तथा परोसने में ये निपुण हैं। हिरण्यमयी हर वर्ष बिहार जाकर एक बार अपने हित रिश्तेदारों एवम घरवालों से अवश्य मिलती थीं, परंतु महामारी की दूसरी वेव के वजह से इस बार उन्हें दिल्ली में ही रहना पड़ा था।

उन्होंने द बेटर इंडिया को कहा की, “वे कहीं भी आ-जा नहीं सकते थे, इसी कारण से वह काफी परेशान थी। कुछ दिन बाद उन्हें महसूस हुआ कि उनके जैसे न जाने कितने लोग होंगे जो अपने घर नहीं जा पाए होंगे।” वह आगे बताई हैं की, “पढ़ाई या फिर जॉब की खोज में घर से दूर रहनेवाले इंसानों के लिए लॉकडाउन का मतलब था- अकेलापन। वो न तो अपने घरवालों से मिल सकते थे और ना ही घर के बने हुए खाना को खा सकते थे। बिहार से आकर दिल्ली में निवास करने वाले लोगों की अच्छी-खासी संख्या है। परंतु वहां का खाना यहां इतनी सरलता से प्राप्त नहीं था, खासकर लॉकडाउन में तो एकदम नहीं।”

58 साल की हिरण्यमयी शिवानी ने इसके हेतु निवारण ढूंढ लिया था। वह कहती हैं, “उन्होंने घर पर पारंपरिक बिहारी भोजन बनाने तथा लोगों तक उसे पहुंचाने का डिसिजन लिया। ताकि उनके कस्टमर को कुछ वक्त के लिए ही सही, घर जैसा महसूस कर पाए।” उनके द्वारा बताया गया की, “उन्होंने मंजरी के सहित अपने इस बिज़नेस मॉडल के बारे में बात की तथा वह उनका साथ देने के हेतु वो तैयार हो गई।”

हिरण्यमयी का कहना यह है कि बिहार का खाना पूरी दुनिया में सबसे हटके है और देश के लोगों के दिल में यह एक खास जगह बनाए हुए है। उनके मुताबिक, “उनके इस बिज़नेस का मोटिव दिल्ली में रहनेवाले बिहारी लोगो के अलावा अन्य दूसरे लोगों के मध्य भी इस खाने को लोकप्रिय वा पसंदीदा बनाना था।” बस इसी सोच के सहित जुलाई 2021 में हिरण्यमयी ने अपने घर के ‘क्लाउड किचन’ के मध्यम से ‘द छौंक’ नाम से बिहार के स्ट्रीट फूड की शुरू कर दिया। वह आगे बताती हैं, “खाना बनाने के हेतु वह अपनी मां की रेसिपी एवम पीढ़ियों से चले आ रहे मसालों का उपयोग करती है।”

Bihari Food, खिचड़ी और लिट्टी चोखे में है खास टेस्ट
उनके मेन्यू में आम बिहारी खाना में मसलन दाल-भात, तरकारी, रोटी और अचार भी सम्मिलित हैं। मंजरी द्वारा बताया गया की ,” लोगों को खिचड़ी खाना भी बहुत पसंद है। दाल तथा चावल के अलावा हम इसमें कुछ मसलों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उसका स्वाद और लाज़वाब हो जाता है। खाने में वैसे साइड डिश अधिक हैं। जिन्हें वह विकेंड में अक्सर दोपहर के भोजन में भी सम्मिलित कर लेते हैं। उनके मेन्यू में पारंपरिक स्वाद के सहित सभी डिश शामिल की गई हैं।”

35 वर्ष की मंजरी बताती हैं की, सबका हमेआ से फेवरेट लिट्टी चोखा उनके किचन की जान है। लिट्टी, सत्तू (भुने हुए बेसन) से बनाया जाता है। हालाकि चोखा, आलु, बैंगन तथा टमाटर को मैश कर, पारंपरिक मसालों के सहित पकाकर बनया जाता है। इसके अलावा झालमूड़ी, चूरा मटर, बाजका, चूरा बादाम, खीर के साथ दाल पूड़ी, सत्तु की कचौड़ी एवम पुलाव भी बनकर तैयार किया जाता है।

उनके द्वारा बताया गया की, “उन्होंने सत्तू का शर्बत भी बनाया है। यह भूख बढ़ाने के काम आता है।” उनके किचन में बने खाने की प्राइस 110 रुपये से लेकर 445 रुपये के बीच है। मंजरी के मुताबिक , आरंभ में उन्हें एक दिन में 40 ऑर्डर मिलते थे। परंतु आजकल ऑर्डर बढ़कर 450 हो गए हैं। वे अपने इस बिज़नेस से 4 लाख रुपये माह की कमाई कर रहे हैं।

मंजरी द्वारा बताया गया की, “लिट्टी चोखा सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला वेयंजन है। ये हॉट केक की जैसे बिकता है, परंतु हमारे खाने की बढ़ती डिमांड इसके स्वाद की कारण से है।” वह आगे बताती हैं कि , “खाना उसी सादगी के साथ दिया जाता है, जिस प्रकार से एक बिहारी घर में मिलता है। उसे सजाया नहीं जाता। खाना ऑर्डर मिलने के बाद बनया जाता है, इसलिए की उसकी ताजगी बनी रहे।”

उनके इस व्यवसाय का एक और अनूठा पहलू है- पैकेजिंग। उसके हेतु वे किसी भी प्रकार के प्लास्टिक बैग या कंटेनर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। मंजरी बताती हैं, “हम पर्यावरण को लेकर सजग हैं और इसलिए प्लास्टिक का उपयोग नहीं करते। हम अपने कस्टमर को कांच के एयरटाइट कंटेनर में खाना देते हैं, उसके बाद उसे री-यूज़ किया जा सकता है।”

खाना पहुंचने के बारे में बात करते हुए मंजरी कहती हैं, “उन्होंने जोमैटो, स्विगी और अन्य फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर पहले से रजिस्टर किया हुआ है।” क्युकी इन दोनों के लिए फूड इंडस्ट्री नई थी तथा उन्हें इसका कोई एक्सपेरिंस नहीं था। जिसके चलते शुरु में काफी मेहनत करनी पड़ी थी। उन्होंने बताया, “उन्होंने रजिस्टर करने तथा इसे चलाने के हेतु काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।”

मंजरी द्वारा बताया गया की, “आमतौर पर बिहारी खाना होटल में नहीं मिलता है। इसी की वजह से हम अपने बिज़नेस को लेकर पूरे प्रकार से आश्वस्त नहीं थे। परंतु उन्हे इस बात पे भरोसा था कि हाथ से बने इस खाने का स्वाद लोगों को जरूर पसंद आएगा। महामारी के मध्य संसाधनों एवम मसालों को जुटाना भी अपने आप में एक परिश्रम रहा। हमने धीरे-धीरे इन सभी दिक्कतों से निपटना सीख लिया है।” ये दोनों दिल्ली, एनसीआर, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु तथा जयपुर में आउटलेट्स खोलने पर कार्य कर रहे हैं। हिरण्यमयी बताती हैं, “अक्सर खाने का स्वाद आपको पुरानी यादों की के वापस ले जाता है।” वहीं मंजरी, बिहारी खाने को दुनिया भर में पसंदीदा बनाना चाहती हैं।