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शिक्षा पर सबका अधिकार है, इसी सिद्धांत पर अपने गांव को शिक्षित करने की जिम्मेदारी उठाई एक 20 वर्षीय सादिया शेख ने

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कोरोना की वजह से देशभर में लगभग हर क्षेत्र में काफी नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से देश की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है। जहां दूसरे लोग स्कूल, कॉलेज खुलने का इंतजार कर रहे थे वहीं बिहार के देऊरा की सादिया शेख ने अपने गांव के बच्चों की शिक्षा में कोई बाधा नहीं आने दिया। उन्होंने खुद ही उन बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली। इसके लिए उन्होंने एक लाइब्रेरी का निर्माण कराया जहां वे बच्चे पढ़ाई कर सके।

सादिया ने इस लाइब्रेरी का नाम मौलाना अबुल कलाम आज़ाद रखा। इस लाइब्रेरी में बच्चों के लिए मुफ्त किताबें और अन्य चीजें भी उपलब्ध कराई गई है। आस–पास के अन्य शिक्षक भी अपनी रुची से वहां पढ़ाने आया करते हैं। सादिया ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन में अपने घर आए तो वहां की हालत देख कर उन्हे ये विचार आया। इस विचार पर कुछ लोगों से बातचीत की। वहां के लोगों ने भी पूरा साथ दिया।

गांव के बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बने रखने के लिए विशेष रूप से शिक्षा प्रदान किया करती हैं। इस लाइब्रेरी में बच्चों के साथ–साथ बड़े–बूढ़े भी अखबार और अन्य किताब पढ़ने आया करते हैं। इस लाइब्रेरी के साथ किए जा रहे कार्य को सादिया ने रहनुमा वेलफेयर फाउंडेशन के नाम से पंजीकृत कराया। सादिया के काम से प्रभावित होकर हम्ज़ा मसूद ने भी अपने क्षेत्र सहारनपुर में एक लाइब्रेरी खोली।

सादिया पहले भी समाजसेवा के कार्यों की वजह से चर्चा में रही हैं। दो साल पहले हुए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कई बड़े बड़े दिग्गज नेताओं, जैसे असदुद्दीन ओवैसी, उमर खालिद, कन्हईया के साथ मंच साझा कर रखा है। उन्हें कुछ दिनों पहले ही इमर्जिंग सोशल वर्क लीडर ऑफ द ईयर 2021 और वैश्विक महिला प्रेरणादायक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।