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विदेश से पढ़ाई कर वापस लौटी और ज्वाइन की नौकरी, अब नौकरी छोड़ हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगा रही सब्जियां

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इटावा शहर में स्थित एक फार्महाउस इन दिनों सुर्खियों में है जहां हाइड्रोपोनिक तकनीक से 5 हजार स्क्वायर फीट भूमि में सब्जियां उगाई जाती हैं। इन सब्जियों में से कुछ ऐसे भी हैं जो विदेशी हैं और विशेष मौसम में ही खेती की जा सकती हैं। इन सब्जियों की खेती के लिए मिट्टी, खाद और किसी भी प्रकार के केमिकल की कोई जरूरत नहीं है। इन्हें केवल बैक्टीरिया रहित आरओ वाटर से तैयार किया जाता है। वर्तमान समय में भारत के किसान भी खेती के लिए नए–नए तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे वे किसान काफी फायदा भी कमा रहे हैं। खेती के लिए नए तकनीकों और मशीनों के उपयोग में लाने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।

25 वर्षीय पूर्वी मिश्रा के द्वारा इटावा में पहली बार इस तकनीक से खेती किया जा रहा है। पूर्वी ने यूके से अपनी एमबीए की पढ़ाई पूरी की। एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद वह हीरो कंपनी में मार्केटिंग का काम करने लगी। कोविड–19 का प्रभाव आर्थिक रूप में भी पड़ा। तभी पूर्वी के दिमाग में यह हाइड्रोपोनिक फार्मिंग करने का सोचा। इन सब्जियों में सलेट्यूस में रोमानी, बटर हेड, ग्रीक ओक, रेड ओक, लोकरसि, बोक चॉय, बेसिल, ब्रोकली, रेड कैप्सिकम, येलो कैप्सिकम, चेरी टोमाटो और कई विदेशी सब्जियां शामिल हैं।

पूर्वी बताती हैं कि इस तकनीक से खेती करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। इस तकनीक से खेती के लिए केवल पानी और नारियल का स्क्रैप की जरूरत होती है। लोग सॉइलेस फॉर्मिंग के नाम से भी जानते हैं। इसमें एनएफटी टेबल लगाई गई है जिसकी मदद से पानी का बहाव होता है और वह पानी वापस जाकर रीसायकल होता है। इस तकनीक से उगने वाली सब्जियों का सेवन करने से इम्युनिटी भी मजबूत होती है।

हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाई गई सब्जियों को पूर्वी
रेस्टोरेंट और होटल में सप्लाई करती हैं। इसके अलावा आगरा और कानपुर शहर में भी इसकी सप्लाई होती है। इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। धीरे-धीरे वह इसे और बड़े स्तर पर बढ़ाने की कोशिश में हैं।