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BIHAR

राजस्व और भूमि सुधार विभाग द्वारा नयी व्यवस्था लागू, ऑड-इवन नंबर की सहायता से किया जाएगा दाखिल-खारिज

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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा नई व्यवस्था लागू की गई जिसके तहत बिहार में दाखिल–खारिज के लिए ऑड–इवेन का प्रयोग किया जाएगा। अंचलाधिकारी द्वारा ऑड संख्या वाले हलका के आवेदनों का समाधान किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ राजस्व पदाधिकारी द्वारा इवेन संख्या वाले हलका के आवेदन का समाधान किया जाएगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है जिसकी जांच एनआईसी द्वारा शुरू हो गई है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से पत्र मिलते ही मई महीने तक इस सॉफ्टवेयर को सौंपी जाएगी। जिस अंचल में अंचलाधिकारी और राजस्व पदाधिकारी दोनों को नियुक्ति होगी वहीं इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा।

अंचल में राजस्व पदाधिकारी नहीं होने पर वहां सीओ कार्यरत होंगे। राजस्व पदाधिकारी को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा दाखिल-खारिज के साथ अन्य मामलों का तीव्र गति से निवारण के लिए शक्तियां दी गई है। इन मामलों के संख्या में लगातार वृद्धि होने पर सीएम ने आपत्ति जताई है। इसके समाधान के तहत राजस्व पदाधिकारी का पद सृजित कर उनकी नियुक्ति की गई। 1 अप्रैल से राजस्व पदाधिकारियों को म्यूटेशन का अधिकार प्रदान करने से संबंधित आदेश जारी किया गया था। परंतु अधिकारियों द्वारा कार्य के बंटवारे को लेकर आदेश अब जारी किया गया। फिलहाल सीओ और राजस्व अधिकारी द्वारा ऑनलाइन दाखिल–खारिज के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है। इसकी जानकारी अपर सचिव सह निदेशक भूमि अर्जन सुशील कुमार द्वारा दी गई। सॉफ्टवेयर के विकसित होने के पश्चात सीओ और राजस्व पदाधिकारी दोनों द्वारा दाखिल- खारिज किया जायेगा। लेकिन तब तक सीओ द्वारा ही दाखिल- खारिज याचिका का निष्पादन किया जाएगा।

पहले की तरह ही दाखिल-खारिज के लिए सभी याचिकाएं सीओ के पास ही दायर किया जाएगा। सीओ द्वारा ऑड नंबर वाले हलका के लिए भूमि दाखिल-खारिज किया जाएगा। इसके साथ ही सीओ द्वारा सूचना-सुनवाई, दाखिल-खारिज आदेश, शुद्धि पत्र जैसी सभी कार्रवाई की जाएगी। वहीं इवेन नंबर वाले हलका का निवारण राजस्व पदाधिकारी द्वारा होगा।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हलका सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई के रूप में है। हलका को एक या एक से अधिक गांव को मिलाकर बनाया जाता है। जिस गांव के नाम पर हलका बना, वहां हलका कार्यालय की शुरुआत कर राजस्व कर्मचारी को उसका प्रभारी बनाया गया। लगभग एक दशक पूर्व सरकार द्वारा प्रथम हलका का डिवीजन कर एक पंचायत एक हलका का गठन किया गया। परंतु कुछ जिलों में ही यह सफलता पूर्वक प्रभावी है। वहीं नये परिसीमन से पंचायतों की संख्या में वृद्धि तो हुई परंतु हलका का डिवीजन नहीं हो पाया। वर्तमान में कुल 8,387 पंचायतें हैं जिसपर केवल पांच हजार ही हलका है और अंचलवार नंबरों में बंटे हुए हैं।