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MOTIVATIONAL

मोती उगने में भारत ने जापान को दिया टक्कर, भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सोनकर को पद्म श्री से किया सम्मानित

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डॉ. अजय सोनकर इलाहाबाद के रहने वाले हैं। वे एक मध्यम–वर्गीय परिवार से नाता रखते हैं। वे बचपन से ही भौतिकी, रसायन शास्त्र और गणित के विषय में काफी अच्छे थे। उन्होंने वारंगल रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसी बीच वे एक दिन टीवी पर पर्ल कल्चर का कार्यक्रम देख रहे थे जिसमे एक जापानी वैज्ञानिक टिश्यू कल्चर की मदद से मोती उगा रहे थे। तभी से उन्होंने निर्णय किया कि वे भी मोती उगा शुरू करेंगे।

लेकिन इंटरनेट और अच्छी प्रयोगशाल के बिना यह काम थोड़ा मुश्किल था। केवल जापान के पास इस तरह के कल्चर मोती बनाने की तकनीक थी लेकिन डेढ़ साल के प्रयोगों के बाद उन्होंने कृत्रिम मोती बनाकर देश के साथ विश्व के वैज्ञानिकों को आश्चर्य में डाल दिया। इसी के साथ एक्वाकल्चरल वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने कल्चर मोती बनाने वाले देशों में भारत का नाम शामिल कर दिखाया।   

अपने करियर में डॉ. सोनकर ने मोती उगाने को लेकर कई तरह की उपलब्धियां हासिल की हैं। दुनिया भर के कम से कम 68 देशों में पर्ल कल्चर के बारे में डॉ. सोनकर अपना व्याख्यान दे चुके हैं। उनके दर्जनों शोध पत्र कई एक्वाकल्चरल जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। उस समय पूर्व राष्ट्रपति ‘डॉ एपीजे अब्दुल कलाम’ ने डॉ सोनकर की खोज को देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। डॉ. सोनकर अपनी खुद की प्रयोगशाला में स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं जिसमें से एक अंडमान निकोबार में है और एक प्रयागराज में है। जहां सीप के अंदर जो टिश्यू होते हैं उन्हें बाहर निकालकर कृत्रिम वातावरण में रखकर, मोती उगाए जाते हैं।

समुद्री जीव जंतुओं की दुनिया पर केंद्रित साइंटिफ़िक जर्नल ‘एक्वाक्लचर यूरोप सोसायटी’ के सितंबर, 2021 के अंक में डॉक्टर अजय सोनकर के इस नए रिसर्च को प्रकाशित किया गया है। इस रिसर्च के मुताबिक डॉक्टर अजय सोनकर ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सीपों के टिश्यू से मोती उगाने का काम प्रयागराज के अपने लैब में किया है। उनके इन निरंतर प्रयोगों के लिए उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।