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BIHAR

मछली उत्पादन में देशभर में बिहार चौथे स्थान पर, युवा वर्ग मत्स्य पालन में दिखा रहे हैं रुचि, जाने पहले और दूसरे स्थान पर कौन राज्य

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मत्स्य पालन एवं उसके व्यापार में शेखपुरा जिला बड़ी शीघ्रता से आगे बढ़ा है। 5 साल पहले तक आफ सीजन में साउथ इंडिया की चलानी मत्स्य पर अधीन रहने वाला शेखपुरा जिला आज बारहों माह अपने समीप के हॉफ दर्जन से ज्यादा जिलों को फ्रेश तथा जिंदा मत्स्य पूर्ति कर रहा है। अभी जिले में हर साल 400 मीट्रिक टन फीस का प्रोडक्शन हो रहा है। एक दशक पहले यह काउंटिंग सिर्फ महज कुछ मीट्रिक टन तक लिमिट था।

प्याज एवं पत्थर के व्यापारी से पहचाना जाने वाला शेखपुरा जिला मत्स्य पालन तथा उकसे व्यापारी में बड़ी रफ्तार से आगे बढ़ रही है। कृषि के सहित मत्स्य पालन के कार्य को बढ़ावा देने के हेतु गवर्नमेंट की नीली क्रांति को शेखपुरा के निवासीयों ने स्वीकार किया है। मत्स्य पालकों की इनकम में बढ़ोतरी करने एवं इस व्यापार को प्रोत्साहित करने के हेतु बिहार की नीतीश कुमार गवर्नमेंट निरंतर प्रयास कर रही है। इसी के अंतर्गत राज्य के मत्स्य पालकों को एक और सौगात देने का एलान किया गया है। बिहार में अब मत्स्य पालन के नए जलाशय को बनवाने पर स्टेट गवर्नमेंट की ओर से 90% तक सब्सिडी दी जाएगी। उसके सहित ही मत्स्य बेचने के हेतु गाड़ी एवम आइस बॉक्स खरीदने पर भी प्रत्यावर्तन का उपबंध है।

शेखपुरा जिला अभी जमुई, नालंदा, नवादा, लखीसराय एवं पटना जिले को फ्रेश मछली उपलब्ध करवा रहा है।शेखपुरा जिले में 196 गवर्नमेंट और तक़रीबन 200 प्राइवेट जलाशय में मत्स्य पालन का कार्य शीघ्रता से किया जा रहा है, उसका एरिया तकरीबन 400 हेक्टेयर है। मत्स्य पालन में गवर्नमेंट काफी फाइनेंशियल सहायता प्रदान कर रही है। जिला में हैचरी आरंभ होने से अब मत्स्य का जीरा भी स्थानीय लेवल पर उपलब्ध हो रहा है। मत्स्य पालन से जो लोग जुड़ना की चाह रखते हैं। उन लोगों को गवर्नमेंट लेवल से ट्रेनिंग की भी व्यवस्था उपलब्ध करवाई जा रही है।

बिहार निवासियों का मेहनत बिलकुल अच्छे से दिखाई दे रहा है। ज्ञात हो की कृषि रोडमैप के कामयाब क्रियान्विति का फलाफल अब बिहार में शीघ्रता से दिखने लगा है। उससे न केवल रोजगार उत्पत्ति हो रहे हैं, हालाकि खाद्य चीजों के प्रोडक्शन भी तेजी से बढ़ रहा है। पढे-लिखे नौजवान वर्ग जैसे मत्स्य पालन तथा प्रोडक्शन में रुचि दिखा रहे हैं। इससे यही दिखाई पड़ रहा है की मछली प्रोडक्शन में बिहार शीघ्र ही आत्मनिर्भर होगा, हालाकि मत्स्य प्रोडक्शन में देशभर में बिहार चौथे नंबर पर पहुंच गया है। साल 2007-08 में प्रदेश में 2 लाख 88 हजार टन वार्षिक फिश प्रोडक्शन होता था, वह साल 2020-21 में वृद्धि होकर 7 लाख 62 हजार टन हो गया है।

वहीं विधान परिषद में सोमवार को मेंबर राम चंद्र पूर्वे के प्रश्न का जवाब देते हुए पशु तथा फिश रिसोर्सेज डिपार्टमेंट के मिनिस्टर तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि राज्य में मछली प्रोडक्शन बढ़ा तो है, परंतु अब भी दूसरे राज्यों से यहां 877 करोड़ रुपये की हर वर्ष मछलियां बिहार में मंगवाई जाती है। मिनिस्टर ने कहा कि 2021-22 में 8.02 लाख टन मछली प्रोडक्शन उद्देश के विरूद्ध 7.61 लाख टन फिश प्रोडक्शन हुआ। यानी उद्देश से 41 लाख टन कम। आपको कह दें की उससे पहले प्लान पर्षद के सभागार में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव द्वारा पशु एवं फिश रिसोर्सेज डिपार्टमेंट की भिन्न भिन्न योजनाओं के क्रियान्विति एवं उन्नति की समीक्षा की।