BIHAR
मंडल डैम को लेकर सांसद स्तर की बैठक, जाने कब से शुरू हो सकता है निर्माण कार्य
मंडल डैम बनवाने को लेकर सांसद स्तर की मीटिंग में तेजी लाई गई है। इन मीटिंग से ऐसा जाहिर होता है कि शीघ्र ही मंडल डैम का बनवाने का काम आरंभ करवाया जाएगा। पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित श्रम शक्ति इमारत में जल शक्ति मंत्रालय के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की कैबिनेट में पलामू, लातेहार व औरंगाबाद के सांसदों की मीटिंग हुई थी। अब पुन: 6 जून को पलामू सांसद बीडी राम व औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह के मध्य मंडल डैम बनवाने को लेकर मीटिंग होना है। इस मीटिंग में डैम को बनवाने के संवेदक व वाप्कोस लिमिटेड कम्पनी के पद अधिकारी मौजूद रहेंगे।
इस उपलक्ष में कहा गया कि प्रोजेक्ट में तेजी लाने, मंडल डैम में फाटक लगाने, बराज को दुरुस्त , विस्थापितों को मुआवजा अविलंब देने, डैम के समीप सिक्योरिटी के हेतु पुलिस कैंप की स्थापित करने, फॉरेस्ट क्लीयरेंस, कांक्रिट लाइनिंग व चिन्हित जगहों पर SLR ब्रिजों को बनवाने पर चर्चा की गई है। इसकी सूचना देते हुए पलामू सांसद बीडी राम ने बताया कि लातेहार एरिया में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलना है। लातेहार सांसद सुनील सिंह उसके हेतु प्रयास भी कर रहे हैं। शीघ्र ही फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से क्लीयरेंस भी प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि हर हाल में निर्धारित वक्त पर इस प्लान को पूरा करवा लिया जाएगा।
मंडल डैम की शुरूआत 1970 ई में की गई थी। यह प्रोजेक्ट लातेहार जिले के मंडल गांव में है। मंडल डैम से हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस होना था। उसके हेतु 90% कार्य तकरीबन पूर्ण हो गया था। अचानक केंद्र सरकार द्वारा 1993 ई में इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी गई। उसके वजह से यह प्रोजेक्ट 28 सालो से अधर में है। इस प्रोजेक्ट के शुरू हो जाने से बिजली प्रोडक्शन भी होता एवं झारखंड की बिजली क्षमता बढ़ती। वहीं झारखंड व बिहार की एक लाख 20 हजार हेक्टेयर जमीन की पटवन होती। उसमे एक लाख हेक्टयेर जमीन की पटवन केवल बिहार की जमीन की होगी।
क्या है डैम का स्वरूप
डैम की ऊंचाई : 67.80 मीटर,
डैम की लंबाई : 408 मीटर, रिजरवायर का लेवल : 341, (संशोधित) संग्रहण कपैसिटी : 330.10 मीटर, कुल संग्रहण कपैसिटी : 190 MCM 341 मीटर पर बराज की लंबाई : 819.60 मीटर, राइट कनाल की लंबाई : 109 किलोमीटर ( 31 किमी झारखंड में, 78 किमी बिहार में) लेफ्ट कनाल की लंबाई : 11.81 किमी ( सिर्फ झारखंड में), वन भूमि : 1007.29 हेक्टेयर कुल प्रभावित गांव : आठ