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भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए बनी आईपीएस ऑफिसर, छोड़ी प्रोफेसर की नौकरी

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आज के वर्तमान समय में कई लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इन्हीं में से एक है आईपीएस नेहा यादव जिन्होंने अपनी प्रोफेसर की जॉब छोड़कर आईपीएस ऑफिसर बनने की सोची। नेहा ने दिल्ली में ही अपना बचपन बिताया है। उनके पिता एक सरकारी टीचर हैं। नेहा एक प्रोफेसर बनना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अच्छे से पढ़ाई की ओर दिल्ली यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की प्रोफेसर बन गई। उन्होंने समाज में भ्रष्टाचार को देखते हुए पुलिस ऑफिसर बनना उचित समझा। उन्होंने कड़ी मेहनत की ओर आईपीएस ऑफिसर बनी और वे फिलहाल चंडीगढ़ पुलिस में एसएसपी के पद पर कार्य कर रही हैं।

नेहा यादव वेस्ट दिल्ली की रहने वाली हैं। उन्होंने साल 2012 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स से अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी होते ही वर्ष 2013 मे दिल्ली यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयनित हो गई। उन्होंने लगभग दो वर्षों तक प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। उन्होंने देश में भ्रष्टाचार जैसी समस्या को खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए आईपीएस की तैयारी शुरू कर दी। उनके इस फैसला पर उनकी मां काफी खुश थी। उन्होंने कई मुश्किलों को पार करते हुए वर्ष 2015 में एजीएमयूटी कैडर में चयनित हो गईं। उनके इस सफलता पर उनके पिता काफी खुश हुए।

नेहा की शुरुआती पोस्टिंग मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस में की गई जिसके बाद वर्ष 2018 में चंडीगढ़ में उनका ट्रांसफर किया गया। साल 2019 के जनवरी में नेहा को साउथ डिवीजन के एरिया में एसएसपी की जिम्मेदारी दी गई। आंकड़ों के अनुसार चंडीगढ़ में साउथ डिवीजन के एरिया में सबसे ज्यादा क्राइम होते हैं। नेहा ने अपने काम करने के अंदाज से यहां के क्राइम में कमी आई है।

नेहा कहती हैं कि आज समाज बच्चियों को एक अलग नजर से देखता है। ऐसे में कोई एक पोक्सो का केस आते ही वे काफी दुखी होती हैं। हर किसी का अपना सपना पूरा करने का अधिकार है। कोई भी मेहनत की बदौलत अपने सपनों को साकार कर सकता है।