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बीएससी करने में बाद नवीन ने व्हाइट बटर मशरूम की खेती की शुरुआत, हर महीने 40 लाख का बिजनेस

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बहुत से युवा अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के तरफ रुख करते हैं तो वहीं कुछ खेती या व्यापार जैसे कार्य शुरू करते हैं। ऐसी ही कहानी हरियाणा के निवासी नवीन राणा की है। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर व्हाइट बटन मशरूम की खेती करने की शुरुआत की और महीने 40 लाख रुपए का बिजनेस कर रहे हैं। नवीन ने साल 2019 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बीएससी आईटी की डिग्री हासिल की। अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नौकरी नहीं की। सन् 1996 से ही उनके बड़े चाचा मशरूम की खेती कर रहे हैं। उन्हें भी जॉब की जगह मशरूम की खेती की करने का विचार आया।

नवीन कहते हैं कि वह नौकरी करके हर महीने मात्र 35 से 40 हजार रुपए ही कमा पाते लेकिन मशरूम की खेती कर वह लाखों रुपए कमा रहे हैं। इसके साथ ही वह लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे। 25 सौ स्क्वायर जमीन पर इसकी खेती कर रहे है। नवीन कुल बिजनेस का 20 प्रतिशत तक का मुनाफा कमा रहे है। नवीन राणा दिल्ली और चंडीगढ़ मंडी में सबसे अधिक मशरूम की सप्लाई करते हैं। नवीन कहते हैं कि मशरूम की खेती के शुरुआती समय में कम उत्पादन होता है लेकिन कुछ समय बाद यह उत्पादन हर दिन 10 क्विंटल तक पहुंच चुका है।

मशरूम की खेती में तापमान एक अहम भूमिका निभाता है। इसकी खेती के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। लेयर वाइज शेड बनाकर मशरूम की खेती की जाती है। कुछ लोग तापमान को संतुलित करने के लिए एसी का प्रयोग करते हैं। साथ ही अलग-अलग प्रकार के मशरूम की खेती के लिए अलग तापमान की जरूरत होती है। मशरूम की खेती के लिए सबसे पहले कंपोस्ट खाद को तैयार किया जाता है। इसके लिए गेहूं का भूसा, चावल का चोकर, सल्फर नाइट्रेट, जिप्सम, मुर्गी की खाद और गुड़ के सीरे का इस्तेमाल किया जाता है।

कंपोस्ट तैयार कर मशरूम के बीज को मिलाकर उसे बैग में भर दिया जाता है और उन बैग को एक कतार में रैक पर रख दिया जाता है। 15 दिनों के बाद उस पॉली बैग को खोला जाता है और इसमें नारियल पिट्स और धान की जली भूसी को मिलाया जाता है। फिर ऊपर से प्रत्येक दिन हल्की मात्रा में पानी डाला जाता है। लगभग 2 महीने के पश्चात इस बैग से मशरूम निकलना शुरू हो जाता है। इसके एक बैग से लगभग दो से तीन किलो मशरूम निकलता है और धीरे–धीरे मशरूम की मात्रा बढ़ने लगती है। यह जगह के मुताबिक प्रत्येक दिन हजार किलोग्राम तक जा सकता है।

देश में बहुत ऐसे संस्थान हैं जहां मशरूम की खेती के लिए लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके लिए सर्टिफिकेट और डिप्लोमा स्तर का कोर्स भी होता है। आप कार के अलग-अलग ब्रांच से इसकी ट्रेनिंग ले सकते हैं। इसके साथ ही देश के प्रत्येक राज्य में कुछ सरकारी और निजी संस्थान हैं जहां इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। इससे संबंधित जानकारी के लिए आप नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र भी जा सकते हैं। इसके अलावा कई किसान व्यक्तिगत लेवल पर इसकी ट्रेनिंग देते हैं। इंटरनेट और यूट्यूब की मदद से भी इससे संबंधित पूरी जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं।