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बिहार सरकार द्वारा नई स्टार्ट-अप नीति को मंजूरी, बिहार के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का होगा काम

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बिहार सरकार द्वारा नई स्टार्ट अप नीति को मंजूरी दे दी गई है। इसके तहत बिहार के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य किया जाएगा। इसमें दस वर्षों के अंतराल के लिए दस लाख रुपए तक के ब्याज रहित ऋण की व्यवस्था की गई है। इसकी वजह से काफी नए उद्यमी आगे आ रहे हैं। परंतु उन्हें अपेक्षित आर्थिक मदद नहीं मिल रही है। नए विचार के साथ बड़ी संख्या में इन युवाओं में अब तक केवल एक प्रतिशत के स्टार्ट-अप को ही बैंकों की मदद मिलना चिंताजनक है।

बिहार में उद्योग क्षेत्र को विकसित करने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। वहीं औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने हेतु बैंकों और वित्तीय संस्थानों का सहयोग बेहद जरूरी है। इसमें उत्पन्न हो रही विभिन्न कमियों को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास किया जाना जरूरी है। वहीं बिहार सरकार द्वारा औद्योगिक नीतियों में लगातार बदलाव कर औद्योगिक विकास का बेहतर माहौल तैयार किया गया है। इन नई नीतियों से प्रभावित होकर बड़े पैमाने पर निवेश के प्रस्ताव प्राप्त रहे हैं। परंतु बैंक और वित्तीय संस्थान द्वारा नए उद्यमियों के प्रति सहयोगी नहीं होने पर इस दिशा में कठिनाई उत्पन्न होते रहेगी।

इस कठिन समस्या के निवारण हेतु बिहार सरकार द्वारा निरंतर प्रयास जारी है। बिहार में संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। बिहार में कृषि आधारित उद्योगों की काफी संभावनाएं हैं। भविष्य में बिहार चीनी का एक बड़ा उत्पादक राज्य बन सकता है। यहां की प्रशासन पहले की तुलना में ज्यादा सक्रिय है। परंतु इसे और प्रभावी व पारदर्शी बनाने की जरूरत है। बिहार की आबादी अधिक होने की वजह से यहां काफी अधिक पैमाने पर विभिन्न उत्पादों की खपत होती है। परंतु इस कुल खपत का दस प्रतिशत भी उत्पादन नहीं होता है। यहां प्रोडक्शन यूनिटों के लिए व्यापक संभावनाएं हैं।