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BIHAR

बिहार ने पूरे देश में मशरूम उत्पादक राज्य में प्रथम स्थान की हासिल, वहीं दूसरे पर महाराष्ट्र और तीसरे नंबर पर ओडिशा

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पूरे देश में मशरूम उत्पादक राज्य में बिहार प्रथम रैंक पर मौजूद है। बिहार के किसानों द्वारा मशरूम की खेती कर लाखों रुपए का कमाई की जा चुकी है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के अनुसार ओडिशा में सबसे अधिक मशरूम का उत्पादन किया जाता है। परंतु इस वर्ष बिहार ने ओडिशा को पीछे छोड़ दिया। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा उत्पादन के आंकड़ों को जारी किया गया। उन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021–22 में बिहार में 28 हजार टन से अधिक मशरूम का उत्पादन किया गया है। पूर्वोत्तर राज्यों में बिहार में उत्पादित मशरूम की मांग अधिक है। इसके अतिरिक्त झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी यहां के मशरूम की मांग है।

इस स्थान को हासिल करने के लिए बिहार ने 30 वर्षों से अधिक का सफर तय किया है। इस बात की जानकारी बिहार के समस्तीपुर में डॉ.राजेंद्र प्रसाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दयाराम द्वारा दी गई है। व्यवसाय के रूप में बिहार में मशरूम की खेती की जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में ऑएस्टर, बटन, दूधिया मशरूम की व्यवसायिक खेती की जा रही है। वहीं पैडीस्ट्रा, औषधीय गुण वाले हेरेशियम और सिटाके को व्यवसायिक खेती बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में फिलहाल लगभग 55 कंट्रोल यूनिट स्थापित हैं जिसमें प्रतिदिन तीन दर्जन से अधिक मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है।

बिहार के समस्तीपुर में डॉ.राजेंद्र प्रसाद द्वारा विश्वविद्यालय की ओर से किसानों को मशरूम के विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण संस्थान पूसा के द्वारा किसानों को मशरूम की खेती के लिए ट्रेनिंग दिया जाता है। इसके लिए समय-समय पर विश्वविद्यालय की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। मशरूम की खेती से किसान बिहार में चार हजार करोड़ से पांच हजार करोड़ रुपए तक की बिक्री कर चुके है।

बिहार सरकार की तरफ से मशरूम की खेती के लिए किसानों को सब्सिडी भी दिया जा रहा है। किसानों द्वारा लगाए गए उत्पादन मूल्य में 50 प्रतिशत का सब्सिडी मिल सकता है। विभिन्न प्रकार के मशरूम उत्पादन के लिए बिहार की जलवायु उपयुक्त है। यहां कम लागत में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की खेती आसानी से की जा सकती है। इसकी वजह यहां की भौगोलिक स्थिति है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में बिहार में 400 टन बटन मशरूम और 80 टन ओयस्टर मशरूम का उत्पादन किया जाता था। इसके उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है। 28 हजार टन मशरूम उत्पादन कर बिहार देश में प्रथम स्थान पर विराजमान है।

राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम वैज्ञानिक दयाराम के अनुसार बिहार में लगभग तीन दर्जन उद्यमी के रूप में कंट्रोल इन्वायरमेंट में बटन मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है। इसके फलस्वरूप प्रतिदिन 100 से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है। पुआल पर मशरूम की खेती करने से किसानों को कम लागत में ज्यादा फायदा हो रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस प्रक्रिया हेतु गर्मी का मौसम सबसे अनुकूल माना जाता है। इस मौसम में पुआल पर कम समय में मशरूम से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया सकता है। ऐसा इसलिए कि यह तकनीक दूधिया मशरूम के लिए उपयुक्त पाई गई है। इस तकनीक की मदद से 15 से 20 दिनों में मशरूम तैयार हो जाता है। बटन मशरूम के उत्पादन में सामान्य पुआल की कुट्टी एवं गेहूं भूसा का उपयोग किया जा सकता है। परंतु बटन मशरूम, श्वेत दूधिया मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक विशेष प्रकार के कम्पोस्ट का निर्माण किया जाना जरूरी होता है।

हॉर्टिकल्चर बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मशरूम उत्पादन में बिहार के बाद दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है। इसके कुल उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 9.89 प्रतिशत है। वहीं तीसरे स्थान पर ओडिशा मौजूद गई जिसकी हिस्सेदारी 9.6 प्रतिशत है। बिहार में मशरूम की खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और मशरूम मैन के नाम से मशहूर डॉ दयाराम द्वारा इस सफलता पर किसानों को बधाई दी गई है।