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बिहार: दर-दर भटकने के बाद नहीं मिली नौकरी तब मशरूम की खेती कर बनया भविष्य

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किसी ने सच ही कहा है कि ‘कामयाबी का तो जुनून होना चाहिए, फिर मुश्किलों की क्या औकात’, इन वायक्यो को पूर्वी चंपारण जिले के बरहरवा की निवासी जैनब बेगम ने अपने जज्बे से साथ सही कर दिखाया है। जैनब आज न सिर्फ मशरूम के माध्यम से खुद को सफल कर खुद स्वावलंबी बन गई हैं जबकि अन्य महिलाओं को भी सशक्तिकरण का पाठ पढ़ाकर उन्हें ट्रेनिंग भी दे रही है। जबकि, जैनब ने कम संसाधनों के माध्यम ही यूट्यूब की सहायता से पहले मशरूम की खेती आरंभ की एवं आज उसी के माध्यम से चॉकलेट, पापड़, अचार तक बनाकर बेच रही हैं। उनके कार्य से आज काफी लोग जुड़े हुए हैं।

अपनी कहानी सुनाते हुए जैनब ने बताया कि, उन्होंने MA तक की पढ़ाई की है। वर्ष 2020 के पहले वह पटना में ही रहकर एक एजुकेशनल कंसल्टेंसी कंपनी में नौकरी किया करती थी। किराए के घर में छह महीने की बेटी के साथ रहती थी। पति के साथ बाकी परिवार के लोग गांव पर ही थे। दिक्कतों के बीच भी जिंदगी किसी प्रकार से चल रही थी। इसी मध्य आई कोरोना महामारी ने जैनब के सपनों को तोड़कर रख दिया। लॉकडाउन लगा तो उनकी नौकरी चली गई। नौकरी जाने के बाद पटना में रहना परेशानी बढ़ गया था। इसी के हेतु वह ढाका के अपने बरहरवा गांव वापस लौट आई।

जैनब को उनके कुछ दोस्तों ने उन्हे मशरूम की खेती करने की सलाह दी थी। उस समय जैनब को मशरूम की कुछ ठीक से जानकारी नहीं थी, परंतु यूट्यूब के माध्यम से उन्होनें इस विषय में जानकारी प्राप्त की। जानकारी प्राप्त करते समय उन्होनें समस्तीपुर कृषि विश्वविद्यालय एवम बागवानी मिशन के माध्यम से भी मशरूम की खेती के सुझाव लिए। उसके बाद जैनब ने मशरूम की खेती करने का मन बना लिया।

इस मध्य उन्होंने पटना से 2 किलोग्राम मिल्की मशरूम का बीज खरीदा। फिर 10 बैग से मशरूम का कार्य आरंभ किया। धीरे-धीरे कार्य बढ़ता गया एवम आज उसके वो 1000 बैग ज्यादा मशरूम लगा रही है। उसके मार्केटिंग भी खुद से करती है। मशरूम के बढ़ते उत्पाद को देख व्यापारी खुद संपर्क कर रहे हैं। चार बहनों में सबसे बड़ी जैनब बताती हैं कि ऐसे कार्यों में कई दिक्कतें भी आती हैं। घर के लोग भी बहुत अधिक बाहर नहीं जाने देते, जबकि जैनब इस कामयाबी से अब खुश हैं। जैनब कहती हैं कि ठंडे के मौसम में तो वह कई लोगों को कार्य देती हैं। उसके अलावा वे अब कई महिलाओं एवं युवकों को ट्रेनिंग देती हैं। वह मशरुम की खेती के अलावा कई ओर तरह के उत्पाद भी बनाती है।

बागवानी मिशन के अंतर्गत जिला और राज्य लेवल पर कई पुरस्कार जीत चुकी जैनब अब इस कार्य को बढ़ाना चाहती है, उससे जायदा लोगों को वह रोजगार दे सके। जबकि वह बैंक से ऋण लेने के लिए योजना बना रही है। जैनब के मध्यम से बनाए गए चॉकलेट की मांग काफी है। वह 10 हजार से अधिक चॉकलेट बेच चुकी हैं परंतु अभी ब्रांडिंग एवम पैकेजिंग नहीं की है। अब इलाको की कई लड़कियां भी इस कार्य से जुड़ना चाह रही हैं। गांव वाले भी जैनब के इस मेहनत और सफलता से खुश हैं। जैनब फक्र से कहती हैं कि उन्होंने इस कार्य को 400 रुपये से आरंभ किया था परंतु आज लगभग दो साल में तीन लाख रुपये पूंजी हो गई।