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बिहार के 8462 पैक्‍स बनेंगे मिनी बैंक, कोर बैंकिंग की मिलेगी सुविधा; माइक्रो एटीएम से निकाल सकेंगे रुपए

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बिहार के गांवों में कार्यरत 8462 स्थित कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट की शुरुवाती कोऑपरेटिव सोसाइटी(पैक्स) अब बैंक की जरिए से किसानों को सुविधा दी जाएगी। सारे पैक्‍स को कोर बैंकिंग सेवा से जोड़ा जाएगा। उसके बाद यहां माइक्रो एटीएम सिस्‍टम की आरंभ हो सकेगा।

राज्य के सभी पैक्स कोर बैंकिंग सर्विस से जुड़ेंगे। प्रांभिक चालू वित्तीय साल से पहले चरण में 294 पैक्सों को कोर बैंकिंग सर्विस से जोड़कर की जाएगी। उसके लिए कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट के ज़रिए प्रति पैक्स तीन लाख 40 हजार राशि का आवंटन किया गया है जो कंप्यूटरीकरण और फिर कोऑपरेटिव बैंकों से कोर बैकिंग सोलुशन साफ्टवेयर के साथ कलेक्ट किया जाएगा। इससे पैक्सों के साथ-साथ किसानों को कई बेनिफिट मिलेगा।

पैक्सों को कोर बैकिंग सर्विस से जोडऩे के लिए स्टेट गवर्नमेंट द्वारा कदम उठाया गया है। इससे माइक्रो एटीएम सिस्टम को प्रोत्साहन मिलेगा। इसका बेनीफिट सीधे वैसे किसानों को मिलेगा जो पैक्सों से जुड़े हैं। कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट के अनुसार डेबिट कार्ड स्वैपिंग, आधार आधारित और बायोमैट्रिक सिस्टम से इस एटीएम से ग्रामीण अपने खाते से धनराशि निकलवा सकेंगे। इस एटीएम से रूरल कोऑपरेटिव बैंकों के साथ ही दूसरे राष्ट्रीय और निजी एरिया के डेबिड कार्ड से धनराशि निकलवाई जा सकती हैं।

कोर सर्विस बैंकिंग सर्विस के लिए सभी पैक्सों में ट्रेनिंग की मैनेजमेंट किया जाएगा। पैक्स पर माइक्रो एटीएम को कंडक्ट करने की जिम्मेदारी पूरा करने वाले बिजनेस पप्रतिरूप को जल्द ट्रेनिग दिया जाएगा। जिला सहकारी बैंक के खातेदार माइक्रो एटीएम को कंडक्ट करने वाले बिजनेस प्रतिनिधि के ज़रिए से धनराशि अपने खाते में जमा भी करा सकते है।

अगले वित्तीय वर्ष में 2391 पैक्स पर कंप्यूटर भी लगवा दिया जाएगा। तीन साल में सभी पैक्स कंप्यूटरीकृत करवा दिया जाएगा। लगभग 58.81 करोड़ रुपये तक की धनराशि खर्च होने है। साथ ही पैक्स कोऑपरेटिव बैंकों के एक्सटेंशन के रूप में काम करेगा। पैक्सों के ज़रिए से फिलहाल एनुअली 10 लाख रुपये माइक्रो एटीएम के जरिए से विड्रॉल होने का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण जैसे-जैसे इस बेनिफिट मिलता जाएगा। यह लक्ष्य बढ़ा दिया जाएगा।

कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट की सचिव वंदना प्रेयषी के द्वारा बताया गया कि सभी पैक्सों का कंप्यूटरीकरण की प्रॉसेस पूरी की जाएगी। करेंट फाइनेंस साल 2021-22 में 294 पैक्सों का कंप्यूटरीकृत करवाए जा रहे है। नाबार्ड और राज्य सरकार के ज़रिए 50:50 की भागीदारी के आधार पर पैक्सों का कंप्यूटरीकरण और फिर जिला केंद्रीय कोऑपरेटिव बैंकों और फिर बिहार स्टेट कोआपरेटिव बैंक के कोर बैंकिंग सर्विस साफ्टवेयर के साथ समन्वित किया जाएगा।