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बिहार के स्कूल–कॉलेजों में छात्रों को दी जायेगी पराली प्रबंधन की जानकारी, जानिए एक टन पराली जलाने से कितना नुकसान

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बिहार के स्कूल के साथ–साथ कॉलेज में भी पराली प्रबंधन की पढ़ाई कराई जाएगी और हर जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं छोटे बच्चों को पराली से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। दूसरी ओर बड़े छात्रों को उसके प्रबंधन और उसे जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी जायेगी। विकास आयुक्त की अध्यक्षता में अंतरविभागीय समूह की बैठक का आयोजन किया गया और सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है। शिक्षा विभाग और राज्य के दोनों कृषि विश्वविद्यालय द्वारा बच्चों के पढ़ाई के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।

पाठ्यक्रम तैयार होते ही इसे बच्चों के सिलेबस में जोड़ दिया जाएगा। आमजन को भी पराली प्रबंधन मे शामिल करने का मकसद है। इसके लिए सरकार द्वारा इसकी पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया है। प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में पराली प्रबंधन की पढ़ाई कराई जाएगी। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर और राजेंद्र केंद्रीय कृषि विवि पूसा को सामग्री पाठ्य सामग्री तैयार करने की जिम्मेवारी दी गई है।

प्राथमिक स्कूलों में पराली प्रबंधन के जानकारी दी जायेगी और वहीं कॉलेज स्तर पर पराली को खेतों में जलाने पर नुकसान के बारे में बताया जाएगा। मिट्टी का तापमान बढ़ने से किस कीट का नाश हो जाता है जिसका असर मिट्टी के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ता है। इसी के साथ उन्हें पराली से कंपोस्ट बनाने की तकनीक जानकारी भी दी जाएगी।

खेतों में पराली जलाव को रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा कई प्रयास किया जा रहे हैं। इसके बावजूद की जिलों में यह अभी भी जारी है। सैटेलाइट की सहायता से उन पंचायत को चिन्हित किया जा रहा है जहां आज भी पराली का जलाव जारी है। वैसे क्षेत्रों में लोगों को इसके प्रति आगाह किया जा रहा है। इसके साथ ही इससे संबंधित जिम्मेवार किसान को सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जाएगा। पराली से चारा ब्लॉक बनाने और किसानों की आय में वृद्धि लाने की योजना की शुरुआत की गई।

एक टन पराली जलाने से हवा में मिलने वाले तीन किलो
हानिकारक तत्व निकलते हैं। इसके साथ ही 60 किलो कार्बन मोनोक्साइड, 1460 किलो कार्बन डाइऑक्साइड और 2 किलो सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है।