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बिहार के लाल सचिन ने सत्तू को देश-विदेश में एक नई पहचान बनाने के लिए, छोड़ी अच्छी-खासी नौकरी

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गर्मी के दिनों में लोग अक्सर सत्तू का सेवन करते हैं। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में खास तौर पर सत्तू का सेवन काफी लोग करते हैं। देशभर में बिहार का लिट्टी–चोखा प्रसिद्ध हैं। सत्तू सिर्फ स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद हैं। आज मैं आपको बताऊंगा बिहार के सचिन के बारे में। इनके जीवन का लक्ष्य है दुनिया भर में सत्तू को पहुँचाना। सचिन कुमार मधुबनी जिला के रहने वाले है। इन्होंने मुंबई में अपनी अच्छी-खासी नौकरी को छोड़कर सत्तू को देश-विदेश में एक पहचान दिलाने के लिए बिहार में अपना स्टार्टअप शुरू किया है। इन्होंने इसका नाम ‘सत्तुज़‘ रखा है। इस ‘सत्तुज़‘ जिसके जरिए, वह सत्तू से अलग-अलग प्रोडक्ट्स बना रहे हैं जैसे पाउडर और रेडीमेड एनर्जी ड्रिंक इत्यादि है।

सचिन ने Gorural Foods & Beverages कंपनी के तहत अपना ब्रांड ‘सत्तुज़’ को 14 अप्रैल 2018 को शरुआत की। इन्होंने बताया कि 14 अप्रैल को बिहार, झारखंड और उत्तर-प्रदेश के कुछ भागों में सतुआनी पर्व मनाया जाता है। इस दिन मैंने अपने स्टार्टअप की नींव इस लिए रखी क्योंकि इस तारीख को सत्तू खाने का काफी महत्व है। उन्होंने बताया, ग्रेजुएशन के बाद जब मैं MBA कर रहा था तो उस वक़्त मैंने इंटरप्रेन्योर विषय पढ़ा है। मेरे परिवार का रिटेल का बिजनेस है फिर मुझे लगा कि हम जो बिजनेस कर रहे हैं, उसमें हम बाहरी सामान को अपने बिहार में लाकर बेच रहे हैं। लेकिन हम बिहार का कोई भी सामान हम बिहार से बाहर नहीं पहुँचा रहे हैं। कुछ ऐसा करें ताकि बिहार का नाम बाहर देशों तक पहुँचे।

सचिन ने जब MBA फाइनल किया तो उन्हें मुम्बई में एक अच्छी जगह नौकरी मिल गयी थी। उन्हें कुछ ही साल बाद अमेरिका जाने का भी मौका मिला। लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लग रहा था क्योंकि वह अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे। उन्होंने 2008 में नौकरी छोड़ कर घर चले आये। लेकिन इस बात से घर वाले खुश नहीं थे। जब उन्होंने बिहार से बाहर गौर किया, तब उन्हें समझ में आया कि मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों के बाहर दूसरे शहरों में भी उनके व्यंजनों का नाम है। आखिर ऐसा बिहार का क्या है, जो लोग खासतौर पर पसंद हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने भिन्न-भिन्न जगहों पर यात्रायें की और समझने की कोशिश की कि लोग सत्तू के बारे में कितना जानते हैं और कितना पसंद करते है। वे बताते हैं, हमारे सामने बहुत-सी चीजें आई। सत्तू के बारे में कोई जागरूकता मेट्रो शहरों में भी नहीं है और तब सचिन ने सत्तू की सही प्रोसेसिंग के लिए एक फूड प्रोसेसिंग ट्रेनिंग भी की फिर FSSAI सर्टिफिकेशन लिया। सत्तू बच्चों और युवाओं को बोरिंग लगता है। इसलिए उन्होंने अपने प्रोडक्ट को बाकी ड्रिंक प्रोडक्ट्स जैसे फ्रूटी आदि की तरह पैकेज किया।

  
सचिन ने सत्तू को तीन फ्लेवर्स में बाज़ार तक पहुँचा- जल जीरा, स्वीट और चॉकलेट। यह 20 रुपये के शिशे से लेकर 120 रुपये की डिब्बे में भी उपलब्ध है। उनको इस स्टार्टअप के लिए उन्हें IIM कोलकाता से लोन और इंडियन एंजेल नेटवर्क (IAN) और बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन से फंडिंग मिली है। सचिन के मुताबिक, सत्तुज़ बिहार का पहला स्टार्टअप है जिसे इंडियन एंजेल नेटवर्क (IAN) और बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन से फंडिंग मिली है। वह वर्तमान में 8-10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। वह अपने प्रोडक्ट्स को पूरे भारत में पहुँचा रहे हैं। इनके पिछले साल रेवेन्यु 10 लाख रुपये था।

इनकी आगे की योजना सत्तू के पराठे, लिट्टी आदि बनाने के लिए ‘रेडी टू मेड मिक्स’ तैयार करने की है। सचिन एक नयी प्रोडक्ट लाइन पर काम कर रहे हैं। इसके साथ ही, वे सत्तू से जुड़े कई  प्रोडक्ट के बारे में दुनिया को जागरूक करना चाहते हैं। जैसे सत्तू को सिर्फ गर्मियों में नहीं बल्कि सालो भर खाया-पिया जाता है। सत्तू का लड्डू घी और दूध के साथ मिलाकर बनाया जा सकता है। अभी तक सत्तुज़ का काफी अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। उनका कहना है कि जब हम अपनी विरासत और स्थानीय चीजों का सम्मान करेंगे तभी अपनी सही पहचान बनाने में सफल होंगे।

 
सचिन लोगों से यह अपील करते हैं कि इस बार वे अपने दोस्त-रिश्तेदारों को त्यौहार पर उपहार में कार्बोनेटेड ड्रिंक देने की बजाय सेहतमंद ‘सत्तुज़’ गिफ्ट करें। उनका मानना है कि ऐसा करके, आप न सिर्फ अपनों की सेहत का ख्याल रखेंगे बल्कि आपकी एक खरीद ‘मेड इन बिहार’ को भी सपोर्ट करेगी।