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बिहार के बौद्ध कालीन ऐतिहासिक लाली पहाड़ी के रंग–रूप में होगा बदलाव, पर्यटकों के आकर्षण का बनेगा केंद्र

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बिहार के लखीसराय जिले में प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल लाली पहाड़ी स्थित है। काफी जल्द ही इसके खुदाई स्थल के संरक्षण को लेकर कार्य किए जाएंगे। इसके लिए राज्यपाल के आदेश से सरकार के अपर सचिव द्वारा तीन करोड़ आठ लाख 89 हजार रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है। 1 जुलाई के दिन उन्होंने कार्य के लिए राज्य भवन निर्माण विभाग को राशि की निकासी करने को लेकर महालेखाकार बिहार को पत्र भी प्रेषित कर दिया है।

उन्होंने प्रशासनिक स्वीकृति प्राक्कलन के अनुरूप कार्य संपादन के पश्चात भवन निर्माण विभाग पटना द्वारा बिहार सरकार को कला, संस्कृति और युवा विभाग कार्यान्वयन समर्पित करने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संरक्षण का कार्य पुरातात्विक अनुशासन के अनुरूप किया जायेगा। ऐसा अनुमान है कि जल्द ही लाली पहाड़ी के रंग–रूप को बदलने का कार्य किया जाएगा जिससे यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगी।

लाली पहाड़ी के संरक्षण हेतु डेढ़ वर्ष पूर्व पीपीआर तैयार किया जा चुका था। इसमें लाली पहाड़ी के खुदाई स्थल को संरक्षित करने के साथ ही पहाड़ी पर ही एक हेलीपैड, पहाड़ी पर जाने के लिए मार्ग, पार्क और रेस्टोरेंट आदि का भी निर्माण कार्य शामिल था। इससे लाली पहाड़ी के खुदाई स्थल तक पहुंचने में पर्यटकों को दिक्कत न हो और वे पुरातात्विक स्थल का निरीक्षण भी कर सकें।
इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति के साथ राशि आवंटित कर दिया गया है।

जिला मुख्यालय स्थित लाली पहाड़ी का संबंध बौद्ध कालीन इतिहास से है। इस बात का खुलासा होते ही वर्ष 2017 के 25 नवंबर के दिन हेलिकॉप्टर से लाली पहाड़ी पहुंचकर खुदाई कार्य की शुरुआत की गई थी। इसके बाद से पश्चिम बंगाल के विश्व भारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं पुरातात्विक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार के नेतृत्व में तीन वर्ष तक खुदाई की गई। इस खुदाई में बृहत बौद्ध महाविहार का स्वरूप सामने आया था। उसके साथ ही अनेक बौद्ध कालीन पुरातात्विक महत्व की वस्तु और भग्नावशेष निकलकर सामने आये थे।

लखीसराय में भी पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं को संग्रहित करने के लिए सीएम नीतीश कुमार द्वारा एक संग्रहालय के निर्माण की स्वीकृति दी गई थी। वर्तमान समय में इस संग्रहालय में एक योजनाबद्ध तरीके से लाली पहाड़ी पर मिले पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं के साथ लखीसराय के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त हुए मूर्तियों को सही तरीके से रखने की जरूरत है।

पर्यटकों को जिले के प्रसिद्ध लाली पहाड़ी पर हुए खुदाई क्षेत्र की ओर आकर्षित करने हेतु इसका संरक्षण किया जा रहा है। इसके फलस्वरूप जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और जिले के आय के क्षेत्र में भी काफी विस्तार होगा। वहीं जिले के अन्य उत्खनित क्षेत्र को भी पर्यटन की दृष्टिकोण से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।

जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड के उरैन की पहाड़ी का भी उत्खनन किया गया था जहां बौद्ध के समय के अनेक वस्तुएं सामने आयी थी। उन वस्तुओं को संरक्षित करने पर बल दिया जाएगा। इसके साथ ही जिले के आधा दर्जन स्थलों को राजकीय धरोहर में शामिल किया गया है जिसके उत्खनन के लिए प्रयास हो सकेगा। आने वाले समय में लखीसराय पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध होगा।