BIHAR
बिहार के प्रत्येक गांव में 24 घंटे उपलब्ध रहेगी बिजली, ट्रांसमिशन नेटवर्क को किया जा रहा तैयार
विगत कुछ दिनों में बिहार में काफी कार्य किए जा रहे हैं। हाल में ही पर्यटन के क्षेत्र में भी कार्य की शुरुआत की गई। वहीं पटना के साथ बिहार के अन्य शहरों में भी रिंग रोड का निर्माण किया जा रहा है। बिहार के हर गांव में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए सौर उर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। बिहार में लगातार बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार द्वारा ट्रांसमिशन की क्षमता को बढ़ाने पर काम किया जा रहा है।
बिहार सरकार द्वारा सभी ट्रांसमिशन लाइन की क्षमता को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य बिजली कट की समस्या को खत्म करना और बिहार के हर गांव में 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा सके। ट्रांसमिशन योजना के अंतर्गत यह आशंका है कि वर्ष 2023–24 में बिजली की मांग सबसे अधिक रहे। उस समय बिजली की मांग 7 हजार 521 मेगावॉट तक हो सकती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए बिजली सप्लाई के लिए पहले 13 हज़ार 540 मेगावाट क्षमता से ज़्यादा का ट्रांसमिशन नेटवर्क तैयार किया जाएगा।
हाल ही में सीतामढ़ी के डुमरा में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह द्वारा पॉवर ग्रिड का उद्घाटन किया गया। इस वर्ष ट्रांसमिशन की कई परियोजना को पूरा किया जाएगा जिसकी जानकारी ऊर्जा विभाग द्वारा दी गई। इस परियोजना में सीतामढ़ी, सहरसा और चंदौती में 400 केवी पावरग्रिड के साथ इससे जुड़े चार डाउन लिंकिंग ट्रांसमिशन लाइन का काम पूरा किया जाएगा। साथ ही मार्च 2023 से पूर्व रक्सौल में 220 केवी ग्रिड उपकेंद्र का काम पूरा किया जाएगा।
बिहार राज्य योजना के तहत सात नए ग्रिड उपकेंद्र को 2 हजार 149 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जाएगा। इसमें चौसा में निर्माण हो रहे थर्मल पावर प्लांट से विद्युत के निकास के लिए तीन ट्रांसमिशन लाइन को 817 करोड़ रुपए की लागत से पूरा किया जाएगा। बख्तियारपुर में 664.76 करोड़ की लागत से 400 केवी जीआईएस ग्रिड उपकेंद्र का निर्माण किया जाएगा। ट्रांसमिशन लाइन की मदद से आबादी वाले जगहों पर रोटेशन पर आसानी से बिजली उपलब्ध कराया जा सकेगा। लो वोल्टेज के साथ फॉल्ट की समस्या भी इससे समाप्त हो जायेगी। इसकी सहायता से पुराने उपकेंद्र और लाइन से बोझ को कम किया जाएगा। साथ ही बिजली की बढ़ रही मांग को पूरा करने के लिए वैकल्पिक सुविधा को उपलब्ध कराया जाएगा।