BIHAR
बिहार के इस शहर में गंगा किनारे हरिद्वार जैसे नए सीधी घाट का हुआ निर्माण, जानिए इसकी विशेषता
कोरोना संक्रमण की वजह से श्रावणी मेले पर रोक लगा दी गई थी। इसके केस कम होते ही दो वर्षों के पश्चात इस बार श्रावणी मेले की शुरुआत की जा रही है। श्रद्धालुओं के लिए सुल्तानगंज में एक नए घाट का निर्माण किया जा रहा है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अंतर्गत हरिद्वार घाट की तर्ज पर सुल्तानगंज में 14 करोड़ रुपए की लागत से एक पक्के का सीढ़ी घाट का निर्माण किया गया है। 14 जुलाई के दिन श्रावणी मेले के शुभारंभ में इसका लोकार्पण किया जाएगा।
हरिद्वार की तर्ज पर सुल्तानगंज के जहाज घाट को विकसित किया गया है जहां कावरियों को विशेष सुविधा दी जाएगी। 14 जुलाई के दिन जहाज घाट का उद्घाटन किया जाएगा। इस अवसर पर मशहूर कलाकार हंसराज रघुवंशी द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम को पेश किया जाएगा। इस दौरान पूरे क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर जरूरी इंतजाम किया गया है। सीसीटीवी कैमरे की मदद से निगरानी की जाएगी और पुलिस की भी तैनाती होगी। इसके साथ ही एम्बुलेंस और दवाइयों के साथ मेडिकल टीम भी आपातकालीन स्थिति के लिए मौके पर मौजूद रहेगी।
इस घाट पर तीन गेट बनाए गए हैं। इस सीढ़ी घाट को चार लेयर तैयार किया गया है जिसके प्रथम लेयर में 14 सीधी है। वहीं दूसरे और तीसरे लेयर में 12 सीढ़ियों का निर्माण किया गया है और चौथे लेयर में गंगा का जल है। इस सीढ़ी घाट की कुल लम्बाई 125 मीटर और चौड़ाई 50 मीटर है। रात में रौशनी के लिए लाइट के बेहतर इंतजाम किये गये हैं।
श्रद्धालुओं के लिए एक मंदिर के आकार की संरचना बनाई गई है। इसके साथ ही 10 शौचालय का निर्माण भी किया गया है। और महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। यहां वस्त्र बदलने के लिए कमरे का भी निर्माण किया गया है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीढ़ी के अंतिम छोर पर स्टील की बैरिकेडिंग की गई है।
इस वर्ष 12 जुलाई से 15 अगस्त के बीच श्रावणी मेला का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी सभी श्रद्धालु भागलपुर अंतर्गत सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा का पवित्र गंगा जल लेकर बोल बम का नारा लगाते हुए 109 किमी की यात्रा तय कर बाबाधाम जाएंगे और द्वादश ज्योर्तिलिंग में एक बाबा बैद्यनाथ को जल चढाएंगे। इस दौरान कावरिया पथ पर एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है।
सुल्तानगंज में गंगा नदी उत्तर दिशा की ओर बहती है जिसकी वजह से सुल्तानगंज से जल भरने का महत्त्व काफी अधिक है। इसी की वजह से सुल्तानगंज की गंगा को उत्तरवाहिनी गंगा भी कहा जाता है। बाबाधाम पहुंचने पर कांवरिये शिवगंगा में डुबकी मारकर खुद को पवित्र करते हैं और फिर ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यानथ और अन्य देवी-देवता को जल चढ़ाते हैं। श्रावणी मेला पूरे सावन महीने तक चलता है। जिसे विश्व का सबसे लम्बा धार्मिक मेला भी कहा जाता है।