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बिहार के इस डिजिटल भिखारी का अंदाज है कुछ निराला, छुट्टे पैसे नहीं है तो मनी ट्रांसफर ही कर दो बाबू

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बिहार के शहर बेतिया रेलवे स्‍टेशन पर पीएम नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया का प्रशंसक एक डिजिटल भिखारी रहता है। लाेगों के पास छुट्टा नहीं होने पर वह ई-वॉलेट द्वारा पैसे ट्रांसफर करने को बोलता है। ये भिखारी लालू प्रसाद यादव का भी बड़ा फैन है।

कभी राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अपने पिता की तरह मानता है । बिहार के बेतिया का राजू प्रसाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया का दीवाना है। बेतिया के रेलवे स्टेशन पर रह कर बचपन से ही भीख मांगते हुए बड़ा हुए राजू अब अपने भीख मांगने के तरीके को भी डिजिटल कर लिया है। फिलहाल यू कहे तो वो एक ‘जेंटलमैन डिजिटल भिखारी’ है। यह इसके हेतु गूगल-पे और फोन-पे के ई- वॉलेट का यूज करता है। सभी लोगो से बोलता है कि छुट्टे नहीं हैं तो पैसे ट्रांसफर ही कर दो बाबू। बिहार की राजू की मानें तो वह देश का भी पहला ऐसा ‘प्रोफेशनल’ डिजिटल भिखारी है।

बेतिया के बसवरिया वार्ड नं 30 के रहने वाले प्रभुनाथ प्रसाद अब नहीं रहे। उन्ही का 40 साल का बेटा राजू प्रसाद तीन दशक से रेलवे स्टेशन सहित अन्य स्थानों पर भीख मांगकर जीवन गुजार रहा है। कम अकल होने के वजह से राजू को पेट पालने के हेतु और कोई रास्ता भी नहीं दिखा। वह स्‍टेशन समेत शहर के भिन्न भिन्न जगहों में भीख मांगता है, फिर रात में स्‍टेशन पर ही सो जाया करता है।

राजू के भीख मांगने का अंदाज अनोखा है, उसपर लोग फिदा हैं। वे स्टेशन व बस आड़े से बाहर निकल रहे रहियो को घेर कर सहायता करने की गुजारिश करता है। उसके द्वारा बताया गया कि कई बार लोग यह बोलकर मदद करने से मना कर देते थे कि उनके पास खुले पैसे नहीं हैं। कई लोगों ने बताया कि पे-फोन इत्यादि ई-वॉलेट के जमाने में अब पैसे लेकर जाने की आवश्कता हीं नहीं होती है। इस वजह से जब भीख मांगने में परेशानी होने लगी, तो राजू ने बैंक खाता खोलवाया, उसके सहित ही ई-वॉलेट भी बनवा लिया। अब वे गूगल-पे और फोन-पे इत्यादि द्वारा से भी भीख मांगता है। उसके द्वारा बताया गया कि ज्यादातर लोग तो नगद ही रुपए देते हैं, परंतु कुछ इंसान ई-वॉलेट में भी पैसे ट्रांसफर करते हैं।

परंतु एक भिखारी के हेतु बैंक अकाउंट खोलना इतना सरल नहीं रहा। राजू ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया से प्रेरित होकर वह बहुत पहले से बैंक अकाउंट खोलना चाहता था। उसके लिए जब बैंक में पूछा तो आधार कार्ड तथा पैन कार्ड जरूरत की मांग की गई। आधार कार्ड तो पहले से था, परंतु पैन कार्ड बनवाया पड़ा।उसके बाद बीते माह ही बेतिया के स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में अकाउंट खुलवाया। बैंक अकाउंट खुल जाने के बाद ही राजू ने ई-वॉलेट भी बनवा लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया से प्रेरित होकर राजू आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से भी प्रभावित है। भीख मांगने के बाद वह हमेसा रात में स्टेशन पर सो जाया करता है। लालू प्रसाद यादव उस समय रेलमंत्री थे, तब उनसे इसकी परिचय बेतिया रेलवे स्टेशन पर ही हुई थी। लालू भी उससे काफी प्रभावित हुए थे। उसके बाद वह हर समय लालू प्रसाद यादव के तरह ही वेश में रहता था। पश्चिम चंपारण जिले में लालू के सभी कार्यक्रमों समारोह में वह उपस्थित रहता था। उसके बताया है कि वर्ष 2005 में लालू प्रसाद यादव के आज्ञा पर उसे सप्तक्रांति सुपर फास्ट एक्‍सप्रेस ट्रेन के पैंट्री कार से रोजाना खाना मिलता था। यह कर्म वर्ष 2015 तक चला। उसके बाद अब वे अपने पैसे से कहना खाता है।

बेतिया में राजू अब विख्यात चेहरा होगया है। पूर्व विधायक वीरबल यादव ने बताया हैं कि वह बहुत अच्छे स्‍वभाव का है। मां की मृत्यु के बाद राजू के पिता ने दूसरा विवाह कर लिया था । उन्होंने भी उसकी काफी सहायता की है। बेतिया के ही संजय सिंह ने बताया कि कम अकल होने के वजह वह कोई कार्य नहीं कर पाता है। बेतिया के व्यवसायी दिग्विजय सिंह राजू के डिजिटल तरीके से भीख मांगने को निराली बात बताते हैं। उन्‍होंने बताया है कि नगर के लोग उसकी सहायता करते हैं।

राजू की कहानी भले ही आपको इंटरस्टिंग लगे, परंतु इससे पूरा सिस्‍टम का भी खुलासा हो जाता है। गरीबों के हेतु चलाई जाने वाली समाज कल्‍याण प्लान की सिचुएशन पर भी प्रश्न खड़े होते हैं। प्रश्न यह भी कि वह स्टेशन स्थान में भीख कैसे मांगता है? तस्‍वीर में भले हीं राजू स्‍टेशन पर दिखाई दे, भले हीं स्‍टेशन पर हीं वह तत्‍कालीन रेल मंत्री तक से रही भिखारी मुलाकात कर चुका है, परंतु बेतिया के स्टेशन अधीक्षक अनंत कुमार बैठा की मानें तो स्‍टेशन पर भीख मांगने की इजाजत नहीं दी गई है, वह स्टेशन के बाहर व अन्य स्थानों पर भीख मांगता है।