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BIHAR

बिहार के इस जिले में इस्थित किले पर रोपवे का होगा निर्माण, बारिश के समय कार्य प्रारंभ करने का निर्देश

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कैमूर जिले में स्थित ऐतिहासिक रोहतास किले पर रोपवे का निर्माण किया जाएगा जिसे बारिश बाद शुरू किया जाएगा। इसके निर्माण कार्य पर 12 कराई 65 लाख रूपए खर्च किए जाएंगे। इस रोपवे का निर्माण रोहतास प्रखंड मुख्यालय के पास से किला के चौरासन मंदिर तक किया जाएगा। रोपवे निर्माण की सभी तकनीकी बाधाओं को समाप्त किया जा चुका है। इसकी जानकारी बिहार पुल निर्माण निगम के उप मुख्य अभियंता सुनील कुमार द्वारा दी गई। इसकी निविदा भी निकाली गई है। बारिश के मौसम बाद रोपवे निर्माण का कार्य आरंभ हो जाएगा।

वर्ष 2012 में सीएम नितीश कुमार द्वारा इस किले का निरीक्षण किया गया था जिसके पश्चात इसके विकास को लेकर घोषणा की गई थी। वहीं बिहार सरकार द्वारा 1500 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतास किले तक रोपवे का निर्माण किया जाएगा। इसके निर्माण का उद्देश्य बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देना है। रोपवे निर्माण और चौरासन मंदिर से किले तक सड़क का निर्माण किया जाएगा जिसपर 12 करोड़ 65 लाख रूपए की स्वीकृति दी गई थी। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया को पूर्ण किया जा चुका। विगत वर्ष ही केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय से कैमूर वन अभ्यारण्य में स्थित रोहतास किले तक रोपवे निर्माण के संबंध में मंजूरी दी गई थी।

रोहतास किला तक रोपवे के अतिरिक्त चौरासन मंदिर से किला तक और रोहतास से अधौरा तक सड़क का निर्माण किया जाएगा। इसके निर्माण के संबंध में एक दशक से अधिक समय से इसकी कवायद शुरू है। वहीं सन् 2008 में तत्कालीन एसपी विकास वैभव द्वारा नक्सल उन्मूलन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को रोहतास से अधौरा तक सड़क और रोपवे निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। उनका मानना था कि पर्यटन विकास से क्षेत्र में नक्सलवाद, बेरोजगारी और श्रम शक्ति का पलायन समाप्त हो सकता सकता है। वर्ष 2010 में 14–15 जून को उन्होंने डालमियानगर में रोहतास किला के नजदीकी गांव के 80 युवकों को टूरिस्ट गाइड का प्रशिक्षण भी दिया गया था।

रोपवे निर्माण की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण पर है। इसकी जानकारी बिहार पुल निर्माण निगम के उप मुख्य अभियंता सुनील कुमार द्वारा दी गई है। इस रोपवे के निर्माण के लिए 12.65 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। इस कार्य के लिए एजेंसी को आदेश दिया जा चुका। वन विभाग से एनओसी प्राप्त हो गया है। पर्यावरण मंत्रालय की आपत्तियों का निवारण किया जा चुका है। दो माह में उनसे भी अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने की उम्मीद है ।