BIHAR
बिहार के इस जिले को बनाया जायेगा काला नमक चावल का हब, किसानों की मेहनत ला रही रंग
बिहार का बक्सर जिला सोनाचूर चावल के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां खेती कर रहे किसानों के द्वारा काला नमक चावल की खेती के लिए पहल की गई थी। बक्सर जिले के मिट्टी की जांच कराई गई। इस जांच में यह निष्कर्ष आया कि यहां की मिट्टी काला नमक चावल के लिए काफी अनुकूल है जिसे अगले मौसम में 500 हेक्टेयर में काला नमक चावल की खेती का लक्ष्य है। इसके लिए किसानों में रुचि को ध्यान में रखते हुए बक्सर जिले को काला नमक चावल का हब बनाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं।
बक्सर जिला धान का कटोरा के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां के सोनाचूर और बासमती चावल की मांग उत्तर प्रदेश तक थी। परंतु किसान जितना लागत लगाकर खेती करते थे उससे कम ही उपज होती थी। इसलिए किसानों ने इसकी उपज कम करने लगे। यहां के किसान खासतौर पर मंसूरी धान के विभिन्न प्रजातियों के चावल की खेती करते हैं। इनमें से ही गिने चुने किसानों ने काला नमक चावल की खेती की पहल की। इस चावल की अच्छी खेती और बाजार में अच्छी कीमत मिलने लगे।
यहां की मिट्टी के साथ यहां का मौसम भी अनुकूल पाया गया जिसे देखते हुए कृषि विभाग ने काला नमक चावल की बड़े पैमाने पर खेती के लिए पहल की जिसके पश्चात चावल की खेती करने वाले किसाओं की संख्या बढ़ने लगी। इस पहल के अंतर्गत अगले मौसम में 500 हेक्टेयर में काला नमक चावल की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। रकबा बढ़ाने के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
पिछले सीजन में काला नमक चावल की खेती की गई जिसमें प्रति बिगहा 12 से 15 क्विंटल धान की उपज हुई है। काला नमक चावल की खेती कर अच्छी उपज होने के बाद इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। अच्छी उपज को देखते हुए यहां के किसानों ने आने वाले सीजन में काला नमक चावल की खेती करने का फैसला किया है। कृषि विज्ञानी डॉ देवकरण बताते हैं कि काला-नमक प्रजाति विशिष्ट गुणों व खुशबू के लिए प्रसिद्ध है। यह बक्सर की मिट्टी व मौसम के अनुरूप है। अच्छी उपज को देखते हुए काला नमक चावल की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।