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बिहार के इन मशहूर मिठाइयों को जीआई टैग देने के लिए नाबार्ड द्वारा शुरू हुई पहल

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गया जिले का तिलकुट, भोजपुर का खुरमा और सीतामढ़ी की बालूशाही बिहार के प्रसिद्ध मिठाइयों में से एक है। खबर के अनुसार काफी जल्द ही इन्हें जीआई टैग की प्राप्ति होगी। नाबार्ड द्वारा इन मिठाइयों को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है। इन मिठाइयों का उत्पादन और बिक्री के साथ भारतीय बाजार और वैश्विक बाजार में इसका प्रचार करना इसका उद्देश्य है। जीआई टैग की प्राप्ति के पश्चात इन तीनों जिलों का विश्व में एक अलग पहचान बनेगी। हालांकि गया जिला धार्मिक कार्यों की वजह से पूर्व से ही विख्यात है।

राजस्थान में जीआई रजिस्ट्री कार्यालय स्थित है। यहां बिहार द्वारा हाजीपुर के चिनिया केले, नालंदा की बावन बूटी साड़ी और गया के पत्थर शिल्प को जीआई टैग देने के संबंध में आवेदन भेजे गए हैं। इससे पूर्व भी इनको जीआई टैग दिलाने के संबंध में आवेदन किए गए हैं। इसकी जानकारी बिहार में नाबार्ड के महाप्रबंधक सुनील कुमार द्वारा दी गई है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड के समर्थन से इन क्षेत्रों के कुशल पत्थर कारीगर, किसानों, बुनकरों और संगठनों द्वारा आवेदन भेजे गए हैं।

फिलहाल के लिए नाबार्ड द्वारा भोजपुर के उदवंतनगर के खुरमा, गया के तिलकुट और सीतामढ़ी जिले की बालूशाही मिठाई के लिए जीआई टैग मांगने वाले निर्माता और निर्माता संघों की सहायता की जा रही है। यह बात नाबार्ड के महाप्रबंधक सुनील कुमार द्वारा कही गई। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके संबंध में जल्द ही जीआई टैग के लिए आवेदन दिए जाएंगे। उनकी तरफ से इन तीन उत्पादों के लिए जीआई रजिस्ट्रेशन के आवेदन करने वाले उत्पादक संघों को रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

नाबार्ड द्वारा जीआई टैग के रजिस्ट्रेशन के लिए खुरमा, तिलकुट और बालू शाही के साथ क्षेत्र के छह संभावित उत्पादों की पहचान की गई है। हमारा बिहार स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ के लिए मशहूर है। जीआई रजिस्ट्रेशन से जीआई टैग मिलने के बाद की प्रक्रिया में भी नाबार्ड द्वारा अहम भूमिका निभाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इन मिठाइयों और खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग लिंकेज, ब्रांडिंग और प्रचार को तीव्रता प्रदान की जा रहा है।

भोजपुर का प्रसिद्ध खुरमा मिठास के साथ रसीला होता है जो भारतीय लोगों के साथ विश्व के लोगों को भी काफी पसंद आता है। इसके साथ ही गया का प्रसिद्ध तिलकुट तिल और गुड़ से बनाया जाता है जो विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध है। वहीं सीतामढ़ी की बालूशाही भी काफी लोकप्रिय है। इस लोकप्रियता को देखते हुए बिहार के इन उत्पादों को जीआई टैग मिलना चाहिए।

विगत दिनों में जीआई रजिस्ट्रेशन कार्यालय द्वारा बिहार मखाना के नाम को मिथिला मखाना में परिवर्तित करने की याचिका को स्वीकार कर लिया गया है। इसके साथ ही बिहार के कतरनी चावल, जर्दालु आम, शाही लीची, मगही पान और सिलाओ का खाजा को पहले ही जीआई टैग प्राप्त हो चुका है।