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BIHAR

बिहार के इन जिले में विश्व स्तरीय अद्भुत म्यूजियम बनकर हुआ तैयार, इसमें गौतम बुद्ध की विरासत रहेगी सुरक्षित

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लखीसराय-पटना NH 80 अशोकधाम मोड़ के समीप 26 करोड़ धनराशि की लागत से बिहार का दूसरा सबसे बड़ा विश्वस्तरीय संग्रहालय का बनवाना तकरीबन पूरा हो चुका है। गवर्नमेंट ने लखीसराय जिले की भिन्न भिन्न पहाडिय़ों और अन्य स्थलों की खोदाई में मिले पौराणिक अवशेषों को सेफ और सिक्योर करने का प्लान बनाया है। उससे महात्मा गौतम बुद्ध की वारिसी को पहचान मिलेगी। सभी विरासत भी सुरक्षित होंगे। जिला मुख्यालय स्थित लाली पहाड़ी को गवर्नमेंट ने राजकीय स्मारक घोषित कर रखा है। लाली पहाड़ी बौद्ध सर्किट के स्वरूप में पहचाना जाता है। यहां की खोदाई में स्त्री बौद्ध मठ मिला है। भगवान गौतम बुद्ध अपने जीवन के 13 वें, 18 वें और 19 वें साल में यहां निवास भी किए हैं।

लखीसराय जिले के भिन्न भिन्न इलाको में खोदाई में मिली पौराणिक मूर्तियां, शिलालेख, मृदभांड, बौद्ध स्तूप साथ ही असंख्य पुरानी कीमती पत्थर की मूर्ति प्राप्त हुई है। ये धरोहर अशोकधाम मंदिर साथ ही अन्य स्थान पर रखा हुआ है। इसे म्यूजियम में सुरक्षित किया जाएगा। शिर्घ ही राज्य के सीएम नीतीश कुमार कोष का शुभारंभ करेंगे।

राजकीय स्मारक लाली पहाड़ी के सर्वे के वक्त सीएम नीतीश कुमार ने 2017 में लखीसराय में पौराणिक धरोहरों को सुरक्षित करने के हेतु संग्रहालय भवन बनवाने की घोषणा की थी। उसके उपरांत सरकार ने संग्रहालय भवन निर्माण की अनुमति देते हुए 26 करोड़ की धनराशि की स्वीकृती दी। दो साल के भीतर उच्चस्तरीय तीन मंजिला म्यूजियम बनकर निर्माण हो गया है।

म्यूजियम के बाहरी परिसर में भगवान गौतम बुद्ध की स्मृतियों एवं बिहार के पौराणिक अवशेषों से जुड़े नक्काशी का काम आखरी चरण में है। टूरिज्म की दृष्टिकोण से यह म्यूजियम बेहद ही आकर्षक है। बौद्ध सर्किट से कनेक्ट करने के हेतु यह बड़ा कदम साबित होगा।

लखीसराय जिले में कई ऐतिहासिक एवं पौराणिक अवशेष हैं। उसको सुरक्षित करने की आवश्कता है। रजोना चौकी, रामपुर, उरैन, सिंगारपुर आदि गांवों से कई देवी-देवताओं की प्राचीन अमूल्य मूर्तियां प्राप्त हो चुकी है। बिछवे पहाड़ी पर काले प्रस्तर के शिवल‍िंग, गणेश और भग्न मूर्तियों के सहित मृदभांड मिले हैं जो बौद्धकालीन है। यहां भगवान विष्णु, वैष्णवी और महिषासुर मर्दिनी इत्यादि की खंडित मूर्तियां मिली है। सिंगारपुर गांव से सटे पहाड़ी पर बिछवे गांव बसा है। उसके शिखर पर निर्मित बौद्ध मठ के धरोहर आज भी हैं। इस पहाड़ी पर शैलोकृत मनौती स्तूप विष्णु की प्रतिमा, मौर्य कालीन ईंट प्राप्त हुई है।

चानन प्रखंड के ज्वालप्पा मंदिर में काले प्रस्तर के अष्टभुजी महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति है एवं मंदिर के बाहर भिन्न भिन्न मुद्राओं में बुद्ध की मूर्तियां भी मिली है। रामसीर गांव में काली जगह के पास एक नवनिर्मित मंदिर के बाहर बुद्ध की अभयपत्र मुद्रा एवं बोधिसत्व की मूर्तियां रखी हुई है। उस स्थल पर ईंट निर्मित चबूतरे पर बुद्ध के काले प्रस्तर की भग्न मूर्तियां और चारों दिशाओं में बुद्ध की भिन्न भिन्न मुद्राओं को दिखलाया गया है। उरैन पहाड़ी की ऊपरी छोर पर बौद्ध मठ या स्तूप के बचे हुए आवशेष होने का प्रमाण आज भी उपस्थित थे। इस पहाड़ी पर भगवान बुद्ध के स्तूप, अभिलेख, बोध गया के बोधि मंदिर के सामने मंदिरों की आकृतियों की रेखा चित्रों का चित्रण है।