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BIHAR

बिहार के अब इन जिलो में पश्चिमी कोसी नहर परियोजना का होगा विस्तार

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पश्चिमी कोसी नहर परियोजना का विस्तार किया जाएगा जिसकी जानकारी जल संसाधन सह सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा द्वारा दी गई। इस साथ ही इन दोनों जिलों के नए क्षेत्रों में सिचाई सुविधा उपलब्ध कराने पर विचार जारी है। इसके लिए विस्तृत योजना प्रतिवेदन को तैयार कर लिया गया है।
आने वाले दिनों में 1193 क्यूसेक अतिरिक्त जलश्राव के साथ लगभग 48 हजार 300 हेक्टेयर नए क्षेत्र में सिचाई सुविधा उपलब्ध होगी। शुक्रवार के दिन दरभंगा में बाढ़ सुरक्षा संबंधित योजनाओं के शिलान्यास समारोह में यह बात कही गई।

सीएम नितीश कुमार के निर्देश पर मिथिला में बाढ़ की वजह से हुए नुकसान में कमी लाने के लिए कार्य किया जा रहा है। वहीं सात निश्चय–2 के अंतर्गत खेतों में सिचाई हेतु पानी उपलब्ध कराने की बात कही गई है जिसके लिए जल संसाधन के साथ पांच विभागों की टीम द्वारा तकनीकी सर्वे कराया गया। इन योजनाओं से 7 लाख 79 हजार हेक्टेयर नए क्षेत्रों में सिचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।

इन योजनाओं में आहर-पईन, जल अधिशेष क्षेत्र में मौजूद पानी को पानी के अभाव वाले क्षेत्र में ले जाना, चेक डैम, एण्टी फ्लड स्लुईस, नहरों का पुनस्र्थापन, विस्तारीकरण, नलकूप जैसी चीजें शामिल हैं। इसके लिए संबंधित पांचों विभागों द्वारा जरूरी प्रक्रिया की शुरुआत की गई। सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने से उत्पादन में वृद्धि के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और विकास भी होगा।

साल 1971 में शुरू हुई पश्चिमी कोसी नहर परियोजना के अंतिम चरण के सात निर्माण कार्यों को पूरा किया गया। साल 2019 में मधुबनी में सीएम द्वारा इसका शिलान्यास किया गया। इसके अंतर्गत नहरों की सफाई, क्षति हुए नहर बांध और संरचनाओं का पुनर्स्थापन तथा नहर के शेष निर्माण कार्य को शुरू किया गया जिसे मार्च 2023 तक पूरा किया जाएगा। इसके पूर्ण होने से मधुबनी और दरभंगा जिले के 2 लाख 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिचाई सुविधा उपलब्ध होगी।

बिहार द्वारा इंट्रालिकिग आफ रिवर्स का कांसेप्ट दिया गया। राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण की भागीदारी से छह नदी को जोड़ा जाएगा। एनडब्लूडीए इंट्रा स्टेट रिवर लिकिग के तहत बिहार की बागमती गंगा लिक, बूढ़ी गंडक नून बाया गंगा लिक और बागमती बूढ़ी गंडक लिक योजना की संभाव्यता पर विचार किया जा रहा है। उपलब्ध संसाधनों की मदद से उत्तर बिहार में बागमती, कमला एवं कोसी बेसिन और दक्षिण बिहार में पुनपुन, किउल-हरोहर बेसिन में छोटी नदियों को आपस में जोड़ दिया जायेगा। इससे इन क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या को दूर किया जाएगा।