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बिहार का लाल भारत-पाक सीमा पर शहीद, सेना ने राजकीय सम्मान के साथ दी अंतिम विदाई

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पश्चिम चंपारण जिले के गौनाहा के जवान दिवाकर महतो भारत-पाकिस्तान सीमा पर शहीद हो गया। रविवार को राजकीय सम्मान के सहित उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव महुई में करवाया गया। इस मौके पर सेना के जवानों ने अपने बहादुर साथी को अंतिम सलामी दी। सेना के आफिसर ने श्मशान घाट पर पिता शंकर महतो को तिरंगा सौंपा।

बेटे के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजिल करते हुए दिवाकर के पिता ने शंकर उन्होंने कहा कि मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। उनके नहीं रहने का गम तो जीवन भर रहेगा, परंतु जाते-जाते उन्होंने मेरा सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। उन्होंने मेरा ही नहीं पूरे देश का सर गर्व से ऊंचा किया है। हजारों लोग शहीद दिवाकर के घर पर आए। लोगों ने शहीद दिवाकर जिंदाबाद, शहीद दिवाकर अमर रहे के नारे भी लगाये।

सर्च ऑपरेशन के समय सीने में लगी गोली सेना के ऑफिसरों द्वारा बताया गया कि दिवाकर हाल ही में वह एक माह की छुट्टी पूरा कर जम्मू ड्यूटी पर लौटे थे। भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के 150 मीटर की दूरी पर सर्च ऑपेरशन चलवाया जा रहा था। इसी सबके बीच दिवाकर को सीने में गोली लग गई। उसे बचाने की कोशिश कि गई, परंतु उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में रखकर जम्मू से हवाई मार्ग से पटना लाया गया।

पटना में फूलों से सजाए हुए एम्बुलेंस में पार्थिव शरीर को मुजफ्फरपुर लाया गया। फिर वहां से उनके आर्मी की गाड़ी से शनिवार को रात में तुरकौलिया मध्य विद्यालय में रखा गया। वहा से रविवार को प्रातः उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव महुई अंतिम दर्शन के हेतु ले आया गया।

सेना का वाहन देखते ही आसपास के गांवों की भारी भीड़ जुट गई। सभी लोगों द्वारा दिवाकर अमर रहे का नारा भी लगाया गया। लगभग 2 वर्ष पूर्व दिवाकर की शादी महुई गांव में ही फूलकुमारी से हुई थी। उनकी गोद में ढाई माह का एक बच्चा है। दिवाकर के सबसे बड़ा भाई ज्ञानचंद महतो भी सेना में ही है।