BIHAR
बिजली कंपनी द्वारा अभियान चलाकर लगाया जाएगा केबल, अब नहीं दिखेंगे नंगे तार, इस महीने से शुरू होगा काम
बिजली कंपनी के द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि अब गली-मोहल्लों में बिजली के नंगे तार नहीं दिखे।बिजली कंपनी ने बिजली तार को कवर्ड रखने का निर्णय लिया है। इसके लिए राज्य में विशेष अभियान चलाकर एरियल बंच केबल लगाए जाएंगे जिसका कार्य इस वित्तीय वर्ष में शुरू हो जाएगा। बिजली कंपनी ने इसके पहले बिहार में जर्जर बिजली तारों को बदलने का अभियान चलाया था। इसके तहत अब तक 85 हजार किलोमीटर तार बदले जा चुके हैं।
जर्जर तार बदलने के क्रम में कंपनी ने भीड़, बाजार और आबादी वाले इलाकों में एबीसी लगाए हैं जिसका असर देखा जा सकता है। खासकर जिन क्षेत्रों में बिजली की अधिक चोरी हो रही थी, वहां एबीसी लगने से बिजली की चोरी में कमी आई है। इसे देखते हुए ही कंपनी ने तय किया है कि राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी एरियल बंच केबल लगाए जाएं ताकि बिजली चोरी को कम किया जा सके।
कंपनी का मानना है कि एलटी लाइन कवर्ड होने का लाभ बहुत होगा। खासकर कंपनी को हो रहे नुकसान को नियंत्रित किया जा सकेगा। तार कवर्ड होने के कारण अवैध तरीके से लोग बिजली का उपभोग नहीं कर सकेंगे। वैद्य उपभोक्ताओं को पोल पर लगे बॉक्स से ही कनेक्शन दिया जाएगा। दो पोल के बीच नंगा तार होने से अभी लोग टोंका फंसाकर अवैध तरीके से बिजली का उपभोग कर रहे हैं। कवर्ड होने पर लोगों की इस पर लगाम लगाया जा सकेगा।
राज्य में बिजली के तार की चपेट में आने से हर साल कई लोगों की मौत हो रही है। कई बार ऐसा हुआ है जब एक ही समय में काफी लोगों की मौत बिजली के तार की चपेट में आने से हो गई थी। आंधी, तूफान या अन्य घटनाओं में बिजली के तार गिरने से नुकसान अब भी हो रहा है। कवर्ड वाले तार में यह समस्या दूर हो जाएगी।
राज्य में लगभग एक तिहाई बिजली का नुकसान हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 37.91 प्रतिशत और वर्ष 2017-18 में 31.06 प्रतिशत नुकसान हुआ था। वित्तीय वर्ष 2018-19 में यह नुकसान घटकर 28.96 प्रतिशत पर आ गया लेकिन हर घर कनेक्शन के कारण राज्य में उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी तो वर्ष 2019-20 में बिजली नुकसान बढ़कर 35.12 प्रतिशत हो गया। वहीं 2020-21 में कंपनी का तकनीकी व व्यवसायिक नुकसान 32.16 प्रतिशत रहा। इस नुकसान को 15 प्रतिशत करने का प्रयास है जो कंपनी के लिए एक बड़ी चुनौती है। अभी पांच लाख से अधिक मीटर लग चुके हैं। इस साल के अंत तक शहरी इलाकों में 23 लाख मीटर लगा दिए जाएंगे। जबकि ग्रामीण इलाकों में 36 लाख मीटर लगाने के लिए टेंडर जारी हो चुका है।