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बचे हुए औपचारिकताओं को पूरा कर आखिरकार 69 सालों के बाद टाटा ग्रुप को सौंपी गई एयर इंडिया

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एयर इंडिया को सौंपे जाने से पूर्व आज टाटा संस के चेयरमैन न चंद्रशेखरन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से भेट की। हाल में टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ रूपए की बोली लगाकर खरीदा था लेकिन उसमे कुछ कागजी काम बाकी रह गए थे। सभी औपचारिकताओं को पूरा करके सरकार ने आज सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया को टाटा ग्रुप के हाथों में सौंप दिया गया। आज से इसका पूरा नियंत्रण टाटा ग्रुप के पास आ गया है।

निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे ने बताया कि औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। शेयर्स को टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया गया है, जो एयर इंडिया का नया मालिक है।

टाटा सन्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि हम एयर इंडिया को वापस टाटा ग्रुप में पाकर बेहद खुश हैं। इसे एक विश्वस्तरीय एयरलाइन बनाने के लिए तत्पर हैं।घाटे में चल रही एयर इंडिया की निलामी कर 8 अक्टूबर के दिन 18 हजार करोड़ रुपये में एयर इंडिया को टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया था जो टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी का एक हिस्सा है।

घाटे में चल रही एयर इंडिया को सही दिशा में लाने के लिए टाटा ग्रुप ने कई फ्यूचर प्लांस को तैयार किया है।
इनमें से एक है ऑनटाइम परफॉरमेंस यानी विमान के दरवाजे फ्लाइट टाइम से 10 मिनट पहले बंद हो जाएंगे। विमानों की समय पर उड़ान पर पूरा फोकस किया जाएगा। इसके अलावा यात्रियों की दी जाने वाली सर्विस में भी इजाफा किया जाएगा।

एयर इंडिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों का एक कंसोर्टियम ने टाटा ग्रुप को लोन उपलब्ध कराने पर तैयार हो गई है। खबर के मुताबिक बैंकों के संघ में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अलावा पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं।

टाटा के पोर्टफोलियो में एयर इंडिया तीसरा एयरलाइन ब्रांड होगा। एयर एशिया इंडिया और विस्‍तारा में टाटा संस की बड़ी हिस्‍सेदारी है। इससे पहले भी एयर इंडिया टाटा संस का ही हिस्सा थी। टाटा संस ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज नाम से एयरलाइन सेवा शुरू की थी। बाद में इसका नाम बदलकर टाटा एयरलाइंस कर दिया गया था। जेआरडी टाटा खुद एक कुशल पायलट थे। उन्होंने टाटा एयरलाइंस के रूप में इसे शुरू किया था।

आजादी के बाद देश को एक राष्ट्रीय एयरलाइंस की जरूरत महसूस हुई जिसमें एयर इंडिया आगे उभर कर आया। भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी अधिग्रहण कर ली। भारत सरकार ने 1953 में एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और सरकार ने टाटा ग्रुप से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली। इस तरह एयर इंडिया पूरी तरह से सरकारी कंपनी बन गई।
घाटे में चल रही एयर इंडिया को आखिरकार टाटा ग्रुप ने 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाकर खरीदा लिया और इसकी भागदौड़ अपने हाथों में ले ली।