BIHAR
बगहा के गजेंद्र ने पौधों के लिए नहीं की शादी; इन्हीं के साथ मनाते हैं होली-दिवाली; जानिए पूरी कहानी
बगहा के गजेंद्र यादव ने अपनी जिंदगी पेड़ों के नाम कर दी है। पिछले 19 वर्षो से वह पौधे लगा रहे हैं। अब तक उनके द्वारा 4 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। वो पौधे लगाने के बाद उसकी देखरेख करते हैं। पेड़ों से इतना लगावो हो गया कि 40 वर्षो के गजेंद्र यादव ने शादी तक नहीं की। जगहों के लोगों ने उन्हें ‘पर्यावरण प्रेमी’ का नाम दिया है। और वे इसी नाम से जाने जाते हैं। बगहा के एक जगह को गजेंद्र यादव ने पूरे प्रकार से हरा-भरा कर दिया है। बचपन से ही पेड़-पौधों से लगाव रखने वाले इस व्यक्ति की परिश्रम और लगन का परिफल यह है कि तिरहुत कैनाल नहर, दोन कैनाल नहर के सहित उनका गांव हरा-भरा दिखने लगा है। सबसे जरूरी बात तो यह है कि पर्व-त्योहार भी ये इन पौधों के मध्य ही मनाते हैं। होली में पेड़ों पर रंग एवम अबीर लगाते हैं। वहीं, दीपावली में दीप भी जलाते हैं।
गजेंद्र का पर्यावरण के प्रति लगाव को देखकर लोग पहले मजाक उड़ाते थे। गजेंद्र ने 2003 में पौधारोपण आरंभ किया। परंतु, धीरे-धीरे गांव एवम आसपास के लोग भी प्रेरणा मिली, जहां बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जा रहा है। गजेंद्र अपनी नर्सरी से तैयार किए हुए पौधे को मुफ्त में वन डिपार्टमेंट एवम मनरेगा तक में देते आए हैं। गजेंद्र SSB कैंप, मंदिर, कब्रगाह, सरकारी डिपार्टमेंट के खाली पड़ी भूमि पर लोगों के सहित मिलकर एक टीम बनाकर पौधा रोपण करते हैं।
गजेंद्र ने अब तक शादी नहीं की है। वे कहते हैं कि पौधे ही हमारी संतान हैं। शादी हों जाने के बाद सामाजिक उलझने बढ़ जाएगी। उसी के कारण से इस कार्य से मेरा मन भटक जाएगा। यही वजह है कि शादी नहीं की। गजेंद्र मात्र पांचवी क्लास तक पढ़ाई किए हुए हैं। वे कहते हैं कि पिता की विकलांगता के वजह से पढ़ाई नहीं कर सके। बिहार के CM नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2013 में गजेंद्र को प्रशस्ति पत्र एवम 11 हजार का चेक देकर हरियाली समागम में सम्मानित किया गया था। वर्ष 2017 में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी गजेंद्र को सम्मानित किया गया था।
गजेंद्र गांव के लोगों को जागरूक कर 8 से 10 लोगों की एक टीम बनाते हैं। फिर अपने पास से पौधा देकर गांव के समीप खाली इलाको और किसानों की जमीन पर पौधारोपण का कार्य करवाते हैं।नहर के किनारे पंपसेट लगाकर पौधों को पानी दिया जाता है। वहा पर पानी का प्रबंध नहीं है। वहां पर टैंकर के पानी द्वारा पौधों की सिंचाई होती है। पौधे की तैयारी एवम लगाने के हेतु पैसे की व्यवस्था पौधा बेच कर एवं कुछ खेती बारी कर इकट्ठा करते हैं। उसके सहित ही कुछ समाजसेवी भी इस कार्य में सहायता करते हैं।