Connect with us

MOTIVATIONAL

फौज छोड़ बने किसान, चंदन के 50 हजार पौधों की तैयार की नर्सरी

Published

on

WhatsApp

वर्तमान समय में कई युवा अपनी जॉब छोड़ खुद का व्यापार या कृषि कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं। ऐसी ही कहानी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के निवासी उत्कृष्ट पांडेय की है जिन्होंने वर्ष 2011 में यूपीएससी एग्जाम में सफलता हासिल की ओर सीएपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद के लिए चयनित हुए। उत्कृष्ट ने पांच साल तक नौकरी की। इन पांच वर्षों में उन्होंने नक्सल बेल्ट से लेकर उग्रवादी इलाके में मोर्चा संभाला। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी होने की वजह से वहां के लोगों को रोजगार के लिए शहर की तरफ आना पड़ता है। उत्कृष्ट के मन में यही बात चल रही थी कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार से किस प्रकार जोड़ा जाए। इसके लिए उन्होंने उन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय किया।

उनके इस निर्णय से उनके पिता काफी नाराज हुए। लेकिन उत्कृष्ट ने किसी प्रकार अपने परिवार वालों को मना लिया। उन्होंने नौकरी छोड़कर चंदन की खेती की शुरुआत की। वर्तमान मे उनके नर्सरी में 50 हजार से अधिक चंदन के पौधे हैं और 350 से अधिक प्लांट हैं। इसके साथ ही वे 10 लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं और 8 लाख रुपए की कमाई भी की। उत्कृष्ट कहते हैं कि उन्हें खेतों से काफी जुड़ाव था और वे नौकरी करते हुए इंटरनेट पर फार्मिंग के बारे में पढ़ते रहते थे। साथ ही यूट्यूब पर भी इससे संबंधित वीडियो देखते रहते थे। इसी दौरान उनके मन में चंदन की खेती का विचार आया।

उत्कृष्ट ने साउथ इंडिया के विभिन्न इलाकों में चंदन की खेती कर रहे लोगों से मिलकर इसके बारी में जानकारी इकट्ठा की। इंस्टीट्यूट ऑफ वूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु से लगभग एक हफ्ते का चंदन की खेती के लिए टैनिंग हासिल की और चंदन के बीज लेकर गांव लौट आए। उत्कृष्ट ने गांव पहुंच कर दो एकड़ जमीन पर चंदन के बीज लगाए लेकिन कुछ कारणों की वजह से पहले वर्ष ही नुकसान हो गया। उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश करते रहे। अगले वर्ष अधिक संख्या में चंदन के पौधे तैयार हो गए। कई लोग उनसे चंदन के प्लांट की मांग करने लगे जिसके लिए उन्होंने चंदन की नर्सरी तैयार करने का निर्णय लिया।

कोरोना काल में कई लोगों की जॉब छूट गई और वे लोग काम ढूंढ रहे थे। उन्होंने उन लोगों को अपने पास रख लिया और उन्हें ट्रेनिंग दी और नर्सरी तैयार करना शुरू किया। एक वर्ष से कम समय में नर्सरी तैयार हो गई और उसमें अच्छी काफी संख्या में चंदन के पौधे हो गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र से लोग इसकी खरीद करने के लिए आने लगे जिससे हमारी अच्छी कमाई भी हुई। वर्तमान समय में उनकी नर्सरी 2 एकड़ जमीन पर विकसित है और लगभग 50 हजार से अधिक चंदन के पौधे हैं। उन्होंने अपने फार्म का नाम मार्सलोन एग्रोफार्म्स रखा है।

वे बताते हैं कि चंदन के पौधों के बीच खाली जगहों पर उन्होंने काली हल्दी और ब्लैक राइस लगाने का काम किया। ये दोनों प्लांट स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं और इससे इम्युनिटी भी बढ़ती है। कोरोना काल में इसकी काफी मांग बढ़ी है। विगत वर्ष में अधिक मात्रा में ब्लैक हल्दी और ब्लैक राइस की बिक्री हुई। इस साल हमने इसका दायरा और ज्यादा बढ़ा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने गाय पालना भी शुरू किया है और दूध की डिलीवरी करते हैं।