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पिता मजदूर, बेटे ने सब्जी का ठेला लगाया, 4 बार असफल हुआ; फिर मेहनत के दम पर बना सिविल जज

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मध्यप्रदेश के सतना जिले के अमरपाटन के निवासी शिवकांत कुशवाहा का जन्म आर्थिक रूप के कमजोर परिवार में हुआ। उनके पिता मजदूरी करते हैं। घर की गरीबी छाई हुई थी। किसी प्रकार से दो वक्त के खाने की व्यवस्था हो पति थी। एक कच्चे मकान में परिवार किसी तरह अपना गुजर बसर करता था।

वहीं शिवकांत को बचपन से ही पढ़ने में दिलचस्पी था। वो कुछ बड़ा बनने का सपना देखने लगे। बेटे के पढ़ाई में बेहद अच्छे होने की कारण से मां ने उसे जज बनाने का सपना देखा था। परंतु परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए शिवकांत के हेतु यह सरल नहीं था। घर का खर्च चलाने के हेतु मां भी मजदूरी करती थीं। शिवकांत का बचपना बेहद गरीबी में व्यतीत हुआ। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए शिवकांत कहते हैं कि पारिश्रमिक करके जब माता-पिता वापस घर लौटते थे। तब हमारे यहां उस दिन का राशन आता था। एक दिन मैं राशन लाने गया था। उसी दौरान मौसम गड़बड़ हो गया। जोरदार वर्षा होने लगी। मैं राशन लेकर जब वापस घर लौट रहा था। तो गड्डे में फिसलकर गिर गया मेरे माथे पर में चोट लगी थी। मैं बेहोश हो गया था। जब मैं देर रात तक घर वापस नहीं लौटा। तो मां ढूंढते हुए मुझे बेहोशी की परिस्थिति में वापस घर ले आई थीं।

पढ़ाई करने के समय उन पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। वर्ष 2013 में उनकी मां का देहांत होगया । मां की जुदाई शिवकांत के लिए सरल नहीं था। परंतु मां ने उनके लिए जो सपना देखा था। उसे शिवकांत किसी भी हालत में पूरा करने की उद्देश ठान ली थी। घर की फाइनेंशियल कंडीशन को देखते हुए पढ़ाई करने के सहित कमाने भी लगे। शिवकांत सब्जी का ठेला भी लगाते। वहीं जब गर्मी का ऋतु आता तब वे गन्ने का जूस को बेचकर अपना गुजारा चलते थे।

तमाम समस्याएं आईं, परंतु शिवकांत ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने इंटरमीडिएट तक की शिक्षा अमरपाटन के सरदार पटेल स्कूल से पूरा किया। उसके बाद अमरपाटन शासकीय कॉलेज में नामांकन ले लिया। ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करने के बाद ठाकुर रणमत सिंह यूनिवर्सिटी से LLB की शिक्षा पूरी की। उसके बाद शिवकांत कोर्ट में प्रैक्टिस करने के सहित सिविल जज की प्रिपरेशन करने लगे। परंतु एक बार नहीं पूरे चार बार उन्हें नाकामयाबी मिली। उसके अतिरिक्त उसके शिवकांत पीछे नहीं हटे। वे परिश्रम करते रहे।

शिवकांत निरंतर नाकामयाब हो रहे थे। उनकी विवाह भी हो गई थी। उनकी पत्नी मधु प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हैं। उन्होंने भी अपने पति के बहुत सहायता की। उनके आत्मशक्ति को बनाए रखा। एक मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मधु पति शिवकांत की राइटिंग ठीक करने में भी उनकी सहायता करतीं है। उनकी कॉपी भी चेक किया करतीं थीं। जहां खामियां होतीं उन्हें सुधरती थी। उनका उत्साह बढ़ाती रहीं।

शिवकांत भी बड़े लगन से लगे रहे। आखिरकार पांचवें कोशिशों में उन्हें कामयाबी प्राप्त हुई। शिवकांत ने अपने दिवंगत मां के सपने को साकार कर दिखाया। उन्होंने बिना कोचिंग कही किए, सेल्फ स्टडी के बल पर सिविल जज के एग्जाम को पास किया था। उनको OBC वर्ग में पूरे प्रदेश में दूसरा रैंक हासिल हुआ है। जो उनकी परिश्रम लगन और संघर्ष का परिणाम है।