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पिता ने खेत बेचकर बेटे को पढ़ाया, बेटे ने शुरू किया कारोबार, उपलब्ध करा रहे रोजगार

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संतोष के पिता पेशे से एक किसान हैं और खेतों में काम करते हैं। उनके पिता संतोष को पेशे से एक इंजीनियर बनाना चाहते थे। अपने बेटे को इंजीनियर बनाने के लिए उन्होंने अपनी जमीन बेच दी। संतोष आज एक गोपालक हैं। उन्होंने केवल तीन वर्षों में 73 लाख रुपए का बिजनेस बना लिया।

संतोष पटना के बाली गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने विशाखापत्तनम के इंडियन मेरीटाइम यूनिवर्सिटी से साल 2017 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। डिग्री हासिल करने के बाद वे जॉब करना शुरू कर दिए। उनके पिता ने संतोष को इंजीनियर की पढ़ाई कराने के लिए पांच कट्ठे जमीन को बेच दिया। संतोष कहते हैं कि उसकी मंजिल इंजीनियरिंग नहीं थी। वे हमेशा से ही डेयरी का बिजनेस शुरू करना चाहते थे।

संतोष ने साल 2017 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और जॉब करना शुरू कर दिए। कुछ समय बाद ही उन्होंने इंजीनियरिंग की 35 हजार रुपए की नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़कर वे वापस गांव लौट आए और गाय पालने लगे। शुरुआत में एक साल तक उन्होंने अपने आइडिया पर खुद एक्सपेरिमेंट किया। एक साल बाद उन्होंने आनंद सागर नेचुरल डेयरी फार्म प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखी। उनके इस आइडिया का चयन स्टार्ट अप इंडिया और बिहार स्टार्ट पॉलिसी दोनों जगह हो गया।

संतोष ने बताया कि वे अपने आइडिया को फ्रेंचाइजी मॉडल बनाकर लागू कर रहे हैं। वे पहले से ही डेयरी के बिजनेस से जुड़ी महिलाओं को इससे जोड़ रहे हैं। मई महीने तक 12 महिलाओं का काम शुरू भी हो जाएगा। उनका पहला लक्ष्य एक हजार महिलाओं को इससे जोड़ना है।

संतोष ऐसी महिला किसान को चुनते हैं जिनके पास कम से कम 500 स्क्वायर फीट की जगह हो। किसान के साथ वे 10 साल तक का कांट्रैक्ट करते हैं। वे बैंक से लोन लेकर उनकी जमीन पर शेड तैयार करते हैं। 10 शाहीवाल गाय खरीद कर उसके खाने से लेकर स्वास्थ्य सुविधा का प्रबंध करते हैं। उनसे उनका दूध खरीद कर उसकी बिक्री तक की व्यवस्था करते हैं।