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दीवारों पर अंग्रेजी के शब्दों के अर्थ लिखकर सीखी अंग्रेजी भाषा, जानिए सुरभि की आईएएस बनने की कहानी

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युवाओं में यूपीएससी को लेकर एक जुनून देखने को मिलता है जिसके लिए छात्र कड़ी मेहनत करते हैं। ऐसी की कहानी मध्य प्रदेश के सतना जिले के अमदरा गांव की निवासी सुरभि गौतम की है। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गांव के स्कूल से पूरी की। सुरभि ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर अपने राज्य की मेरिट लिस्ट में जगह बनाई। उन्होंने उन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को पास कर लिया है जिनमें वह उपस्थित हुई है। सुरभि ने आईएएस की परीक्षा में ऑल इंडिया 50वीं रैंक हासिल कर अन्य अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा बनी है।

सुरभि गौतम के पिता मध्य प्रदेश के मैहर कोर्ट में वकील हैं और उनकी मां डॉ सुशीला गौतम हाई स्कूल में टीचर हैं। सुरभि ने अपनी शिक्षा अपने गांव के एक सरकारी स्कूल में पूरी की। सुरभि ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 93.4 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उन्होंने गणित और विज्ञान में 100 अंक हासिल किए थे। सुरभि ने अच्छे अंक प्राप्त करने की वजह से कक्षा 10वीं और 12वीं में स्टेट मेरिट लिस्ट में जगह बनाई थी। सुरभि को 12वीं कक्षा में रूमेटिक फीवर से भी जूझना पड़ा जिसकी वजह से उन्हें हर 15 दिन में अपने माता-पिता के साथ गांव से 150 किमी दूर एक डॉक्टर के पास जबलपुर जाना पड़ता था। इसके बावजूद सुरभि ने हार नहीं मानी और पढ़ाई जारी रखी।

सुरभि ने 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद राज्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा दी और अच्छे अंक हासिल कर पास भी हो गई। उन्होंने भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में
नामांकन कराया। हालांकि वह खराब अंग्रेजी बोलने के कारण एक हीन भावना से पीड़ित थी और इसके बावजूद पीछे नहीं हटी। सुरभि ने अपनी अंग्रेजी सुधारने के लिए खुद से अंग्रेजी में बात करना शुरू किया और हर दिन कम से कम 10 शब्दों के अर्थ सीखीं। सुरभि दीवारों पर अर्थ लिखकर उन्हें दिन में कई बार दोहराती थीं। उन्होंने कहीं से भी सुने वाक्यांशों और शब्दों को सुना और उन्हें सीखा और अपनी अंग्रेजी सुधारने के लिए काम किया। इसके फलस्वरूप सुरभि ने ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में टॉप किया और उन्हें कॉलेज चांसलर अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। वह हमेशा अपने सपनों को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करती थीं।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होते ही सुरभि को कॉलेज प्लेसमेंट के माध्यम से टीसीएस में नौकरी मिल गई परंतु आईएएस ऑफिसर के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुईं। इस दौरान उन्हें इसरो, बीएआरसी, जीटीई, एमपीपीएससी, सेल, एफसीआई, एसएससी और दिल्ली पुलिस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए चयनित किया गया था। उन्हें वर्ष 2013 में आईईएस सर्विसेज के लिए भी चयनित किया गया था और इस परीक्षा में ऑल इंडिया लेवल पर उन्हें पहला स्थान मिला था। वर्ष 2016 में उन्होंन यूपीएससी परीक्षा पास कर आईएएस ऑफिसर बन गई।