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तंगहाली में बीता बचपन, अपनों को मरते देखा; आज ऐसा ड्रोन बनाया कि सरकार को भी लेनी पड़ी मदद

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विक्रम सिंह मीना ने बताया कि ‘वे राजस्थान के एक ऐसे गांव में पला-बड़े है, जहां आज भी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इमरजेंसी में किसी को अस्पताल ले जाने में भी दिक्कत होता है। उन्होंने गांव और परिवार के लोगों को आभावों में तड़पकर मरते देखा है। उनके अपने ताऊ की भी ऐसे ही मृत्यु हो गई। तब उन्होंने ठाना कि एक दिन इन दिक्कतों का हल जरूर निकलेंगे उन्होंने IIT कानपुर से शिक्षा प्राप्त करने के बाद TechEagle नाम से ड्रोन डिलीवरी का स्टार्टअप आरंभ किया। लखनऊ में पहली बार ड्रोन से चाय की डिलीवरी पर उन्होंने सुर्खियां बटोरी थीं।

अब वे दवाई, वैक्सीन तथा इमरजेंसी जरूरी मेडिकल सेवाएं एक स्थान से दूसरी स्थान पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। सरकारी और प्राइवेट कंपनियां इनकी सहायता ले रही हैं। नागालैंड के पहाड़ी क्षेत्र में जहां रोड से जाने में 7 से 8 घंटे लगते हैं, वहां ड्रोन ने मात्र 28 मिनट में उन्होंने वैक्सीन पहुंचाई है। तेलंगाना, मिजोरम, मेघालय तथा हिमाचल सरकार भी दवाइयां पहुंचाने में इनकी सहायता ले रही हैं। 24 वर्ष के विक्रम सिंह मीना राजस्थान के टोंक जिले के रहने वाले हैं। उनकी स्कूली एजुकेशन गांव में ही हुई। घर में गरीबी थी। परिवार में कोई भी पढ़ा-लिखा नहीं था, परंतु विक्रम उससे विचलित नहीं हुए। वे निरंतर प्रयास करते रहे तथा अपने दम पर IIT क्रैक किया। यह उनके और उनके परिवार के लिए यह बड़ी प्राप्ति थी, क्योंकि जिस वर्ग से वे आते हैं, उस वर्ग से शायद ही तब कोई कॉलेज में कोई ऐडमिशन ले पाता था, IIT में जाना तो दूर की बात थी।

उन्होंने बताया कि , वर्ष 2012 में IIT कानपुर में उन्होंने एडमिशन लिया। फर्स्ट ईयर में ही एविएशन डिपार्टमेंट में कार्य करने का अवसर मिला। वहां से उन्हें ड्रोन बनाने का विचार आया। फिर भिन्न भिन्न तरह के ड्रोन पर रिसर्च करना आरंभ किया। उसी समय उन्होंने वीडी कई नेशनल तथा इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन में भाग लिया और जीता भी।’

विक्रम कहते हैं कि वर्ष 2015 में किसी ऑफिशियल कार्य से बार-बार कानपुर से लखनऊ जाना होता था। वहां की कुछ डॉक्युमेंट देना होता था। कई बार यात्रा करने में भी दिक्कत होता था। उसके लिए बाकी कार्य छोड़ना पड़ता था। एक दिन यूं ही बैठा था तो विचार आया क्यों न एक ऐसा ड्रोन तैयार किया जाए जो एक स्थान से दूसरी स्थान कम समय में सामान को पहुंचा दे। उन्होंने गहराई से सोचा तो अहसा किया कि ये हेल्थ सेवाओं के लिए कारगर रहेगा। उससे गांवों में दवाइयां पहुंचाने में सहायता मिलेगी और यह लॉजिस्टिक्स की दिक्कतों को भी दूर कर सकेगा। उसके बाद विक्रम अपने मिशन को लेकर कार्य करने लगे। उन्होंने ड्रोन तैयार की बारीकियां सीखीं। कई वर्कशॉप अटेंड किए। उसी समाज उनकी मुलाकात अंशु अभिषेक से हुई। दोनों का ड्रोन डिलीवरी को लेकर जुनून एक जैसा ही था।

विक्रम कहते हैं, ‘उन्होंने वर्ष 2015 में TeachEagle ड्रोन AI स्टार्टअप आरंभ किया। उस वक्त वे दोनों अपनी पढ़ाई ही कर रहे थे। परिवार तथा दोस्तों से उधार लेकर कंपनी आरंभ की। तब उनकी टीम में इंटर्न साथ ही 5 लोग थे। उन्होंने एक ड्रोन लॉजिस्टिक्स एयरलाइंस को बनाने का कार्य कर रहे थे। उसका मकसद ऐसा ड्रोन लॉजिस्टिक्स एयरलाइन बनाना था जो एंड-टु-एंड टेक्नोलॉजी की सहायता से मीलों की दूरी कम वक्त में तय कर सके एवम किसी प्रोडक्ट की डिलीवरी सरलता से हो जाए। उसके बाद हमने मेड इन इंडिया के तहत Hybrid e-VTOL Drone तैयार किया।

विक्रम बताते हैं, ‘2018 में सबसे पहले इस ड्रोन की सहायता से उन्होंने दुनिया की पहली चाय डिलीवरी लखनऊ में की थी। उसके बाद कई प्रकार के बदलाव कर उसको बेहतर बनाते गए। कोरोना काल में ड्रोन बहुत ही कारगर साबित हुआ। सबसे पहले इसकी सहायता से दिल्ली पुलिस ने सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल की निगरानी की। जहां लोगों की भीड़ इकट्‌ठा होती थी, ड्रोन डिटेक्ट कर उस लोकेशन के पुलिस स्टेशन में इन्फॉर्म करता था।

उन्होंने तेलंगाना सरकार के सहित मिलकर कई इंटीरियर एरिया में वैक्सीन पहुंचाई। उसके बाद हाइब्रिड E-VTOL ड्रोन की सहायता से हिमाचल के तीर्थन घाटी में प्राइमरी हेल्थ सेंटर से सब सेंटर तक मेडिसिन पहुंचाईं, उसमे ड्रोन ने 9 मिनट से भी कम वक्त में 15 किलोमीटर की दूरी तय की, जबकि यहां पहुंचने में पाथ मार्ग से एक घंटे से ज्यादा वक्त लगता है।

विक्रम एवम उनकी टीम ने हिमाचल सरकार के सहित मिलकर ड्रोन की सहायता से कुल्लू जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) में दवाइयां एवम वैक्सीन पहुंचाई। उसके बजाए नवंबर 2021 में, TechEagle ने मेघालय सरकार तथा स्मार्ट विलेज मूवमेंट (SVM) के साथ मिलकर हाइब्रिड e-VTOL ड्रोन से दवाओं की डिलीवरी की।

विक्रम कहते हैं कि आरंग में उन्होंने स्टार्टअप का मकसद मेडिकल सर्विसेज की तरफ ही था। जबकि, अब वे E-commerce, हाइपर लोकल डिलीवरी तथा सिक्योरिटी के मामलों पर भी काम कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने इथियोपिया की एक ई-कॉमर्स एवम लॉजिस्टिक्स कंपनी Addis Mercato के साथ पार्टनरशिप की है। उससे वहां दवाइयों के साथ ही स्वास्थ से जुड़ी दूसरी सेवाओं में हम मदद कर रहे हैं। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय सेना के साथ डिलीवरी ट्रायल पर भी कार्य कर रहे हैं।

वर्टिकल टेकऑफ एवम लैंडिंग कर सकता है।
मॉडर्न हेलिकॉप्टर के जैसे सीधा उड़ान भरता है।
इस हाइब्रिड ड्रोन को रनवे की जरूरत नहीं पड़ती।
100 किलोग्राम वजन तक के प्रोडक्ट की डिलीवरी की जा सकती है।
15 डिग्री से लेकर 60 डिग्री के टेम्परेचर में भी यह उड़ सकता है।
पूरी तरह ऑटोमेटिक है, मात्र एक बार प्रोग्रामिंग की जरूरत होती है।
यह दूसरे एयरक्राफ्ट, हाई राइज बिल्डिंग, पेड़ या इंसानों को डिटेक्ट कर रास्ता बदल लेता है।
यह पहाड़ी क्षेत्र में भी सरलता से उड़ सकता है।