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ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से संबंधित नियम में सरकार द्वारा किया गया बदलाव, RTO ऑफिस जाने की जरूरत नहीं
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने या रिन्यू कराने वाले लोगों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से संबंधित नियमों में बदलाव किया गया है। इस नियम का लाभ आम लोगों को अवश्य मिलेगा। इस नियम के तहत ड्राइविंग लाइसेंस के लिए रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस जाने की ज़रूरत नहीं है। पुराने नियम की तुलना में नया नियम काफी आसान है। इस संशोधित नियम के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ ऑफिस में ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं है। 1 जुलाई 2022 से केंद्रीय सड़क परिवहन और हाईवे मंत्रालय की ओर से इसे लागू किया जाएगा। इस नियम के लागू होने से ड्राइविंग लाइसेंस हेतु काफी लोगों को वेटिंग लिस्ट से राहत मिलेगी।
लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ ऑफिस में टेस्ट देने की जरूरत नहीं है। लोग ड्राइविंग लाइसेंस के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इसके पश्चात आपको वहीं से टेस्ट पास करना होगा जिसके बाद उस ट्रेनिंग स्कूल द्वारा एक सर्टिफिकेट जारी करेगा। इस सर्टिफिकेट के आधार पर डीएल बनाया जाएगा।
मंत्रालय द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस के लिए शिक्षण पाठ्यक्रम तैयार किया गया है जिसे थ्योरी और प्रैक्टिकल दो हिस्सों में विखंडन किया गया है। लाइट मोटर वाहन के कोर्स का समय चार हफ्ते निर्धारित किया गया है जो 29 घंटों तक चलेगी। वहीं दूसरी ओर प्रैक्टिकल के लिए सड़क, हाइवे, शहर की सड़क, गांव के रास्ते, रिवर्सिंग और पार्किंग के लिए 21 घंटे का समय निर्धारित किया गया। शेष बचे समय में 8 घंटे आपको थ्योरी पढ़ाई जाएगी।
ट्रेनिंग सेंटर के लिए सड़क और परिवहन मंत्रालय द्वारा नियम और कानून बनाए गए हैं। इसके तहत दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के ट्रेनिंग सेंटर्स के लिए एक एकड़ जमीन और वहीं भारी यात्री या माल वाहन अथवा ट्रेलरों के लिए ट्रेनिंग सेंटर के पास दो एकड़ जमीन होना जरूरी है। ट्रेनर 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होने के साथ उसके पास न्यूनतम पांच वर्षों के ड्राइविंग का अनुभव होना चाहिए। हर ट्रेनिंग सेंटर पर बायोमेट्रिक सिस्टम होना चाहिए। मीडियम और हेवी व्हीकल मोटर व्हीकल के कोर्स के लिए 6 हफ्ते में 38 घंटे की समय है। इसमें 8 घंटे थ्योरी क्लास और 31 घंटे का प्रैक्टिकल होगा।