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डिग्री इंजीनियरिंग की, काम गो पालन का; अमनप्रीत ने 6 वर्ष में 7 करोड़ का व्यापार किया, जानिए पूरा प्रक्रिया

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राजस्थान के कोटा के रहने वाले अमनप्रीत इंजीनियर हैं, परंतु उन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर में जाने की बजाय एग्ल्चर का रुख किया। 6 वर्ष पहले उन्होंने 25 गायों के सहित डेयरी फार्मिंग को आरंभ किया। आज उनके पास 300 गाय हैं। देशभर में वे बिलौना घी एवम केंचुआ खाद की मार्केटिंग करते हैं। सालाना 7 करोड़ रुपए धनराशि का उनका टर्नओवर है। उसके सहित ही 150 से अधिक लोगों को उन्होंने रोजगार भी दिया है। 31 वर्ष के अमनप्रीत ने वर्ष 012 में इंजीनियरिंग की। उन्हें जॉब का ऑफर भी मिला, परंतु उनकी इच्छा डेयरी फार्मिंग में थी, इसी के हेतु कहीं जॉब करने के बजाय उन्होंने नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI) करनाल से मास्टर्स की पढ़ाई की। वे वर्ष 2014 में इजराइल गए एवम वहां से डेयरी फार्मिंग में 8 माह की प्रशिक्षण ली। उसके बाद वे अमूल से जुड़ गए। कुछ वर्ष कार्य करने के बाद नेस्ले के लिए वे कार्य करने लगे।

अमनप्रीत बताते हैं कि जब डेयरी फार्मिंग के बार में इनफॉर्मेशन दी गई। इसकी प्रोसेसिंग एवम मार्केटिंग की समझ हो गई तो खुद का एक सेटअप जमाने का निर्णय किया। उसके बाद अपने दो भाइयों गगनप्रीत तथा उत्तमजोत सिंह के सहित मिलकर गऊ ऑर्गेनिक नाम से स्टार्टअप की आरंभ की। सबसे पहले हमने कोटा में एक डेयरी फार्म बनवाया । फिर 25 गायों के साथ कार्य करना आरंभ किया। भास्कर से बात करते हुए अमनप्रीत ने बताया हैं कि हमने बिलौना घी के रूप में अपना पहला प्रोडक्ट लॉन्च किया। बिलौना घी को सबसे प्योर एवम हेल्दी माना जाता है। उसे तैयार करने के हेतु सबसे पहले दूध को गर्म किया जाता है, फिर दही जमाते हैं एवम उसे मथकर घी तैयार होता है। यह ट्रैडीशनल घी है एवम उसकी डिमांड काफी है, परंतु इसे तैयार करने वाले लोग कम हैं।

वे बताते हैं कि जब हमने अपने प्रोडक्ट लॉन्च किया एवम आसपास के लोगों को दिया तो उन्होंने बहुत पसंद किया। उसके बाद उन्होंने बड़े लेवल पर मार्केटिंग की योजना बनाई। कुछ आउटलेट्स खोले, रिटेलर्स से टाइअप किया। फिर अमेजन, फ्लिपकार्ट तथा प्लेटफॉर्म के मध्यम से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचना आरंभ किया। धीरे-धीरे डिमांड अच्छी बढ़ती गई तथा उस हिसाब से हम प्रोडक्शन भी बढ़ाते गए। सहित ही दिन पर दिन गायों की संख्या भी बढ़ती गई। यानी जितना मुनाफा हम कमा रहे थे, उसका अधिकतर हिस्सा अपने बिजनेस को बढ़ाने में खर्च करते गए।

अमनप्रीत बताते हैं कि कुछ वर्ष बाद हमें रियलाइज हुआ कि दूसरे प्लेटफॉर्म पर मार्केटिंग करने से अच्छा है कि खुद का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया जाए। उसके बाद 2019 में हमने खुद की वेबसाइट बनाई एवम उसके मध्यम से देशभर में अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने लगे। उससे हमारे बिजनेस को बूम मिला तथा डिमांड बढ़ गई। अभी हमारे पास हर दिन 100 किलो घी का ऑर्डर आते हैं।

गायों की संख्या बढ़ी तो गोबर से केंचुआ खाद बनाना आरंभ किया
अमनप्रीत बताते हैं कि जब हमारे पास गायों की संख्या बढ़ गई तो गोबर का प्रोडक्शन भी बढ़ गया। अब हमारे पास प्रश्न था कि इतने गोबर का हम क्या करें? तब उनके दिमाग में विचार आया कि क्यों न उससे केंचुआ खाद तैयार किया जाए। उससे हमारे साथ जुड़े किसानों का भी लाभ होगा एवम केंचुआ खाद की मार्केटिंग भी हो जाएगी। उसके बाद उन्होंने गोबर से केंचुआ खाद बनाने की आरंभ कर दी।

वे बताते हैं कि चूंकि उनके पास पहले से मार्केटिंग का जमा जमाया प्लेटफॉर्म था। लिहाजा खाद बेचने में कोई दिक्कत नहीं हुई तथा जल्द ही देश के अलग-अलग भागो से ऑर्डर आने लगे। उसके बाद उन्होंने दूसरे किसानों को भी केंचुआ खाद बनाने की प्रषिक्षण दी। किसान जो भी खाद तैयार करते हैं, उसकी मार्केटिंग वह करते हैं। फिलहाल हर दिन लगभग 3 टन खाद वह बेच रहे हैं। अमनप्रीत कहते हैं कि हमारे सहित लगभग 70 किसान जुड़े हैं। उसके घर की महिलाएं भी हमारे साथ जुड़ी हैं। हमने इन लोगों को घी तथा खाद बनाने की प्रषिक्षण दी है। ये लोग हमारे लिए दोनों प्रोडक्ट बनाया करते हैं तथा उनकी मार्केटिंग की जिम्मेदारी हम संभालते हैं। उसके बदले हम उन्हें सही कीमत देते हैं।

उसके सहित ही हम यह भी ध्यान रखते हैं कि हमारे साथ जो किसान जुड़े हैं वो अपनी गाय को क्या खिला रहे हैं? उसके लिए भी हमने एक सेट पैरामीटर बना रखा है। उसके मध्यम से गाय को क्या खिलाना है, क्या नहीं खिलाना है? इसमें कितना न्यूट्रीशन है? ताकि हम अपने क्वालिटी पर ध्यान रख सकें। अगर आपका बजट कम है या आप रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो आप दो से चार पशुओं के सहित अपनी डेयरी आरंभ कर सकते हैं। आगे धीरे-धीरे आप आवस्कत के हिसाब से पशुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं। उसमे दो से तीन लाख रुपए का खर्च आ सकता है, परंतु अगर आप कमर्शियल लेवल पर इसे आरंभ करना चाहते हैं तो कम से कम 10 से 15 लाख रुपए के बजट की आवश्कता होगी।

उसके सहित ही अगर आप दूध के सहित उसकी प्रोसेसिंग भी करना चाहते हैं तो बजट अधिक बढ़ जाएगा। प्रोसेसिंग प्लांट सेटअप करने में एक करोड़ रुपए तक खर्च हो सकते हैं। अच्छा होगा कि धीरे-धीरे व्यापार को आगे बढ़ाएं। डेयरी स्टार्टअप के हेतु केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार से आर्थिक सहजता मिलती है। 10 पशुओं तक के स्टार्टअप के हेतु आप 10 लाख रुपए का लोन ले सकते हैं। इस लोन पर NABARD की मध्यम से 25% सब्सिडी भी मिलती है। तथा अगर आप आरक्षित वर्ग से ताल्लुक रखते हैं तो 33% तक सब्सिडी ले सकते हैं।

सब्सिडी एवम लोन के हेतु अप्लाई करने का प्रकार भी बहुत सरल है। इसके हेतु आधार कार्ड, बैंक खाता, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र का होना आवश्यक है। सहित ही आपको अपने स्टार्टअप को लेकर एक प्रोजेक्ट भी रेडी करना होगा। उसमे आपके व्यापार मॉडल की इनफॉर्मेशन मेंशन होनी चाहिए।

कहां से ले सकते हैं डेयरी फार्मिंग की ट्रेनिंग डेयरी फार्मिंग के हेतु सर्टिफिकेट लेवल से लेकर डिग्री लेवल के कोर्स होते हैं। देश में कई नगरों में उससे संबंधित संस्थान हैं। नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल, आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, कॉलेज ऑफ डेयरी एंड फूड साइंस टेक्नोलॉजी राजस्थान, संजय गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेयरी साइंस पटना डेयरी फार्मिंग के हेतु प्रमुख इंस्टीट्यूट हैं। यहां से आप भिन्न भिन्न लेवल के कोर्स कर सकते हैं। उसके अलावा कई प्राइवेट संस्थान तथा डेयरी फार्मिंग करने वाले लोग भी इसकी ट्रेनिंग देते हैं। हर कोर्स के हिसाब से भिन्न भिन्न फीस होती है।

अब वर्मी कम्पोस्ट रेडी करने की प्रक्रिया भी जान लीजिए
वर्मी कम्पोस्ट के हेतु बहुत अधिक लागत की आवाक्त नहीं होती। बहुत कम लागत से उसकी शुरुआत की जा सकती है। हमें पहले एक बेड से आरंभ करनी चाहिए। वह बेड रेडी हो जाए, तो उसी के केंचुए से दूसरी एवम फिर ऐसा करके तीसरी, चौथी बेड रेडी करनी चाहिए। वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के बाद ऊपर से खाद निकाल ली जाती है तथा नीचे जो बचता है, इसमें केंचुए होते हैं। वहां से आवस्कता के हिसाब से केंचुए निकालकर दूसरे बेड पर डाले जा सकते हैं। ऐसा करने से हमें बार-बार केंचुआ को खरीदने की आवश्कता नहीं होगी। खाद की शनराशि लागत 3 रुपए प्रति किलो आती है। उसे थोक में छह रुपए से लेकर बीस रुपए प्रति किलो तक बेचा जाता है।