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गुजरात में पहली बार ड्रोन से डाक पहुंचाने का किया गया कार्य, भारतीय डाक विभाग द्वारा किया गया सफल परीक्षण
भारतीय डाक विभाग द्वारा पहली दफा पायलट परियोजना की शुरुआत की गई। इसके तहत गुजरात राज्य के कच्छ जिले में ड्रोन की सहायता से डाक को पहुंचाने का कार्य किया गया। डाक पहुंचाने में उपयोग किए गए ड्रोन को गुरुग्राम के स्टार्टअप टेकईगल के द्वारा निर्माण किया गया था। कंपनी से बताया कि इस तरह के काम के लिए ड्रोन की यह पहली उड़ान थी। उस ड्रोन द्वारा केवल आधे घंटे में ही 46 किमी की दूरी तय कर ली गई थी। विगत महीने ही टेकईगल द्वारा देश की सबसे तीव्र गति वाला हाइब्रिड इलेक्टिक वर्टिकल टेक-आफ एंड लैंडिंग सेवा वर्टिप्लेन एक्स–3 की शुरुआत की गई थी। इस ड्रोन की सीमा 100 किमी की है। यह ड्रोन 120 किमी प्रति घंटे की गति से तीन किलोग्राम तक के वजन का पार्सल ले जाने में सक्षम है। यह पांच मीटर एरिया में हेलीकाप्टर की तरह लैंड करने के साथ ही उड़ान भर सकता है।
विगत दिनों ही महोत्सव का आयोजन किया गया था। इसी महोत्सव में कंपनी द्वारा वर्टिप्लेन एक्स–3 को प्रदर्शित किया गया था। इस पायलट परियोजना का उद्देश्य ड्रोन डिलीवरी की तकनीकी व्यवहार्यता का परीक्षण करना था। इस पायलट प्रोजेक्ट की सफल होने से आने वाले दिनों में ड्रोन की सहायता से डाक को पहुंचाने का कार्य किया जा सकेगा।
27 मई के दिन कंपनी द्वारा निर्मित वर्टिप्लेन एक्स–3 ने भुज तालुका के हाबे गांव से डाक को कच्छ जिले के भाचानू तालुका के नेर गांव में पहुंचाया गया। इसकी जानकारी टेकईगल के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी विक्रम सिंह मीणा द्वारा दिया गया। साथ ही उन्होंने बताया कि यह एक ही उड़ान में सबसे लंबी ड्रोन डिलीवरी थी।
टेकईगल के संस्थापक और सीईओ विक्रम सिंह मीणा द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई थी। इस जानकारी के तहत 27 मई के दिन टेकईगल के वर्टिप्लेन एक्स–3 ड्रोन के द्वारा गुजरात के भुज तालुका स्थित हबाय गांव से नेर गांव तक भारतीय डाक को पहुंचाने का सफल परीक्षण किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य देश के किसी भी हिस्से में कम से कम समय में सामानों को पहुंचाया जाए।