MOTIVATIONAL
गांव की बेटी ने किया रोबोट और ड्रोन बनाने का काम, विदेश तक पहुंचाया अपने काम को
वर्तमान समय में महिला भी पुरुषों के साथ–साथ कंधा से कंधा मिलाकर अपना योगदान दे रही है। ऐसी ही कहानी राजेश्री राजेश देवतालू की है। वे कहती हैं कि वे शुरुआत से ही एक प्रोडक्ट का निर्माण करना चाहती थी जिससे लोगों को मदद मिले। उन्होंने रोबोटिक्स और ड्रोन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने केवल 24 वर्ष में ही ड्रोन और रोबोटिक्स के क्षेत्र में एक मुकाम हासिल किया। वे बताती हैं कि उनका बचपन महाराष्ट्र के नांदुरा में एक गांव में व्यतीत हुआ। उनके पिता खेती के साथ एक किराना दुकान चलाते थे। उनकी एक बड़ी बहन और दो भाई भी है। वे कहती हैं कि वे बचपन से ही एक वैज्ञानिक बनना चाहती थी।
वे बताती हैं कि उनके गांव से थोड़ी दूर अकोला है जहां से उन्होंने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ती एनआईटी नागपुर से पूरी की। वे कहती हैं कि उन्हें ग्रेजुएशन में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक पढ़ने को मिला लेकिन उस चीज में उनकी दिलचस्पी नहीं थी। वह अपने एक्सपेरिमेंट वहां नहीं कर पा रही थी फिर उन्हें आईवीलैब्स के बारे में पता चला जहां उन्होंने वर्कशॉप किया। आईवीलैब्स के माध्यम से उन्होंने रोबोटिक्स के क्षेत्र में प्रवेश किया। वह छोटे-छोटे रोबोट के बारे में रिसर्च करती रहती थी। कुछ वक्त बाद मैने सोच लिया कि मुझे इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना है। आईवीलैब्स में उन्हें कई अच्छे प्रोजेक्ट्स मिल रहे थे। सेकंड ईयर में ऑस्ट्रेलिया में उन्हें रोबोटिक्स पर पेपर प्रेजेंट करने का अवसर मिला जहां उन्होंने लोगों को कई तरह के रोबोट से अवगत कराया।
थर्ड ईयर में उन्हें अपने जूनियर्स को रोबोट से संबंधित जानकारी देने का अवसर मिला जिससे उनके अंदर लीडरशिप क्वालिटी विकसित हुई। इसी वर्ष उन्हें अमेरिका में इंटर्नशिप करने का मौका मिला जहां उन्होंने एटलास रोबोट पर काम किया। एटलास एक सबसे एडवांस्ड रोबोट है जो इंसानों की तरह काम करता है। वह अमेरिका जाकर रोबोटिक्स के क्षेत्र में मास्टर्स की पढ़ाई करना चाहती थी। परंतु कोरोना की वजह से यह मुमकिन नहीं हो सका। उसी वक्त उन्हें वेक्रोस में नौकरी मिल गई और उनके काम से प्रभावित होकर उन्हें कंपनी का को–फाउंडर बना दिया गया। अब वह इस कंपनी के साथ रोबोट और ड्रोन बनाने का काम करती हैं।
वे कहती हैं कि कॉलेज में लड़कों और लड़कियों के बीच काफी भेदभाव देखने को मिलता है। वे बताती हैं कि लड़कों के लिए रिसर्च लैब खुलने का समय अलग होता है और लड़कियों के लिए अलग। इसी वजह से लड़कियां टेक्निकल फील्ड में रिसर्च के मामले में पीछे रह जाती हैं। लड़कों द्वारा रिसर्च करने पर कोई पाबंदी नहीं थी। उन्होंने इसके खिलाफ मोर्चा खोला और स्वयं के लिए रात में 10 बजे के बदले 12 बजे तक का टाइम करवाया। उनका सपना है कि हर लड़की रोबोट बनाए। प्रत्येक घर में एक रोबोट हो जिससे लोगों का काम काफी आसान हो। खेतों में कीड़ों की वजह से फसल खराब हो जाती है। ड्रोन उन कीड़ों के बारे में जानकारी दे पाए। देश की सुरक्षा में भी ड्रोन बड़ा योगदान दे।